मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने ईरान और इजराइल की यात्रा पर एडवाइजरी जारी की है। क्षेत्र में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को अगली सूचना तक इन देशों की यात्रा न करने की सलाह दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि जो भारतीय नागरिक इस समय ईरान और इजराइल में हैं उन्हें सलाह दी जाती है कि वे भारतीय दूतावास से संपर्क करें और अपना पंजीकरण कराएं। भारत के अलावा फ्रांस जैसे देशों ने भी अपने नागरिकों को ऐसी सलाह दी है.
मंत्रालय ने इन नागरिकों को अपनी सुरक्षा के लिए अधिक सावधानी बरतने और आवाजाही कम करने की सलाह दी है। गौरतलब है कि यह एडवाइजरी ऐसे समय जारी की गई है जब मध्य पूर्व में तनाव बढ़ रहा है। ईरान और इजराइल के बीच काफी समय से विवाद चल रहा है और हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली है.
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
विदेश मंत्रालय ने अपनी ब्रीफिंग में कहा है कि इजरायल में रहने वाले भारतीयों से अनुरोध है कि वे अपनी सुरक्षा को लेकर सावधानी बरतें और आवाजाही कम से कम करें. ईरान या इज़राइल में रहने वाले सभी भारतीयों से अनुरोध है कि वे वहां भारतीय दूतावासों से संपर्क करें और अपना पंजीकरण कराएं। यह भी कहा गया है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए सभी भारतीयों को सलाह दी जाती है कि वे अगली सूचना तक ईरान और इजराइल की यात्रा न करें.
क्या सचमुच युद्ध होगा?
ये सच है कि ईरान और इजराइल अब एक-दूसरे के आमने-सामने हैं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया की मानें तो ऐसी खबरें हैं कि ईरान अपनी एक इमारत पर हुए घातक हमले के बाद जवाबी हमले की तैयारी कर रहा है. इजराइल का दावा है कि यह उसके हितों के खिलाफ खतरों से जुड़ा था। इन सभी घटनाक्रमों से मध्य पूर्व में संघर्ष बढ़ने की आशंका पैदा हो गई है।
ईरान की जवाबी कार्रवाई की चेतावनी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल को पूरा समर्थन देने की बात कही है. इस तरफ के हमले के लिए व्यापक तौर पर इजराइल को जिम्मेदार माना जाता है. लेकिन ईरान की प्रतिक्रिया क्या हो सकती है और तेहरान ऐसे किसी भी कदम से जुड़े नफा-नुकसान को कैसे तौल रहा है, यह बहस का विषय है। हालाँकि, अगर दोनों देशों के संबंधों की बात करें तो दशकों से ईरान और इज़राइल दोनों भौतिक और आभासी दुनिया में एक-दूसरे के खिलाफ अभियान चलाने में लगे हुए हैं। इन हमलों में साइबर ऑपरेशन, प्रॉक्सी बलों का समर्थन, हवाई हमले और लक्षित हत्याएं शामिल हैं। जिससे दोनों पार्टियों को भारी नुकसान हुआ है.