जम्मू, 3 अगस्त (हि.स.)। जम्मू स्थित एक दर्जन से अधिक विपक्षी राजनीतिक और सामाजिक दलों के गठबंधन ऑल पार्टी यूनाइटेड फ्रंट (एपीयूएफ) ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा 30 सितंबर की समयसीमा तय किए जाने से पहले राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग को लेकर शनिवार को जम्मू में प्रदर्शन किया।
कांग्रेस, नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, सीपीआई (एम) और शिवसेना (यूबीटी) के वरिष्ठ सदस्यों सहित प्रदर्शनकारी शहर के बीचों-बीच तवी पुल के पास महाराजा हरि सिंह की प्रतिमा के बाहर एकत्र हुए और हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा उपराज्यपाल को अधिक अधिकार प्रदान करने वाले आदेश को वापस लेने की मांग की।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रविंदर शर्मा ने कहा कि भाजपा और उसके साथियों को छोड़कर मुख्य विपक्षी दल एक मजबूत संदेश देने के लिए एक साथ आए हैं कि हम विधानसभा चुनाव कराने से पहले पूर्ण राज्य का दर्जा तत्काल बहाल करना चाहते हैं और साथ ही जम्मू-कश्मीर के लोगों को लोकतांत्रिक अधिकार भी दिलाना चाहते हैं। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर ऐतिहासिक डोगरा राज्य को “बेशर्मी से कमतर आंकने” और लोगों की स्थिति, गरिमा, पहचान और अधिकार छीनने का आरोप लगाया।
शर्मा ने कहा कि भाजपा ने संसद और सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर के लोगों को राज्य का दर्जा बहाल करने का वादा किया है। यह अपना वादा निभाने में विफल रही और पिछले छह वर्षों में विधानसभा चुनाव भी नहीं करवा पाई। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा चुनावों की समयसीमा नजदीक आ गई है, तो इसने उपराज्यपाल को अपना छद्म शासन जारी रखने के लिए और अधिक अधिकार दे दिए हैं।
प्रदर्शनकारियों ने तख्तियां ले रखी थीं और राज्य का दर्जा बहाल करने, भूमि और नौकरी के अधिकार तथा विधानसभा चुनाव कराने के समर्थन में नारे लगा रहे थे। शर्मा ने आतंकवाद से निपटने में विफल रहने के लिए भाजपा सरकार की भी आलोचना की और कहा कि स्थिति विशेष रूप से शांतिपूर्ण जम्मू क्षेत्र में खराब हो गई है, जहां आतंकवादियों ने हाल के दिनों में हमले किए हैं।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष रतन लाल गुप्ता ने भी विधानसभा चुनाव में देरी के लिए भाजपा की आलोचना की और उम्मीद जताई कि अगले सप्ताह जम्मू-कश्मीर का दौरा करने वाला चुनाव आयोग बहुप्रतीक्षित चुनाव सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस अगली सरकार बनाने जा रही है और भाजपा द्वारा लागू किए गए सभी काले कानूनों को रद्द करेगी। उन्होंने विधानसभा चुनाव कराने से पहले राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की।
जम्मू-कश्मीर शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष मनीष साहनी ने कहा कि इस शांतिपूर्ण विरोध से एक चिंगारी सुलग गई है और अगर भाजपा राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी करती है तो यह आने वाले दिनों में ज्वाला में बदल जाएगी। उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर में इस संघर्ष को तेज करेंगे। पिछले महीने एपीयूएफ ने पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए 11 सदस्यीय कोर कमेटी का गठन किया था। पूर्व सांसद शेख अब्दुल रहमान की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, शिवसेना (यूबीटी), आप और सीपीआई (एम) के अलावा अन्य दलों के सदस्य शामिल थे।
उल्लेखानिय है िक पिछले महीने केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत बनाए गए नियमों में संशोधन करके उपराज्यपाल को और अधिक अधिकार दिए। अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के साथ पारित इस अधिनियम ने तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। इस कदम ने उपराज्यपाल को पुलिस और अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर निर्णय लेने और विभिन्न मामलों में अभियोजन के लिए मंजूरी देने का अधिकार दिया।