अनूपपुर: धूमधाम से मनाया गया कजलियां पर्व, बड़े-बुजुर्गों ने दिया छोटों को आशीर्वाद, बड़ों को किया प्रणाम

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अनूपपुर, 20 अगस्त (हि.स.)। आपसी प्रेम और भाईचारे का प्रतीक कजलियां पर्व मंगलवार को पूरे उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक पारंपरागत पर्व में महिलाएं, पुरुष, बच्चे आदि ने अपनी सहभागिता निभाई। नदी, तालाब और सरोबर में टोकरी और मिटटी को विसर्जित कर कजलियां लेकर लौटी महिलाओं व कन्याओं ने सबसे पहले घर के सदस्यों को कजलियां दी। जहां बड़े-बुजुर्गों ने छोटों को आशीर्वाद दिया तो वहीं छोटों ने बड़ों को प्रणाम कर आशीर्वाद लिया।

उल्लेखनीय है कि कजलिया पर्व भाद्रपद महीने की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसे भुजरिया पर्व भी कहते हैं। यह पर्व, रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को गेहूं की भुजरिया देकर सुख-समृद्धि की शुभकामनाएं देते हैं। मान्यता है कि गेहूं, जौ, और बांस के बर्तनों में खेत की मिट्टी डालकर कजलियों का बीच नागपंचमी के दूसरे दिन ज्यादातर घरों में डाला जाता है,घर की कन्याएं और महिलाएं रक्षाबंधन तक जल देते हुए कजलियों का पौधा तैयार करती हैं। कजलियां मनाने का यहां की पुरानी परंपरा है जो आज भी जीवंत है। रीवा राजतंत्र के जमाने से शुरू किया गया यह पर्व आज भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को लेकर लोगों में काफी उत्साह रहता हैं। जहां सभी जाति-धर्म के लोग एक-दूसरे को कजलियां देकर शुभकामनाएं दी तथा आपसी भाईचारे को बढ़ावा दिया।

अनूपपर नगर में विभिन्न् ‍ नदियों सराबरों में कजलियां विसर्जित कर एक-दूसरे को कजलियां देकर पर्व की बधाईयां दी। कोतमा नगर के पंचायती मंदिर एवं पुरानी बस्ती से शाम कजलईया का जुलूस निकाला गाया, जो भजन कीर्तन करते हुए बस स्टैंड पुरनिहा तालाब एवं मनेन्द्रगढ़ रोड स्थित केरहा तालाब में कजलईयों के विसर्जन के साथ समाप्त हुआ। शाम से छोटे-छोटे बच्चे एवं बडे बुजुर्ग कजलईया लेकर एक दूसरे के घरों में पहुंचकर गले मिलें।