हेपेटाइटिस ए: केरल में हेपेटाइटिस ए वायरस कहर बरपा रहा है। केरल में इस साल अब तक हेपेटाइटिस ए के 1977 मामले सामने आ चुके हैं. 12 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा क्षेत्र में 5536 से अधिक संदिग्ध मामले भी सामने आए हैं। हालाँकि, सिस्टम द्वारा इसकी पुष्टि नहीं की गई है। ये सभी मरीज वे हैं जो इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में नहीं गये हैं.
केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने हेपेटाइटिस ए के प्रकोप को देखते हुए कोझिकोड, मलप्पुरम, त्रिशूर और एर्नाकुलम में अलर्ट जारी किया है। सबसे ज्यादा मामले इसी जिले में सामने आये हैं. सभी जिलों में सार्वजनिक जल निकायों का क्लोरीनीकरण किया जा रहा है। इसके अलावा रेस्टोरेंट में उबला हुआ पानी ही इस्तेमाल किया जा रहा है.
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, पिछले 7 साल की तुलना में इस साल इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। हेपेटाइटिस ए विशेषज्ञ एनएम अरुण ने कहा कि हाल के वर्षों में राज्य की पानी की गुणवत्ता में भारी गिरावट आई है. जानकारी के मुताबिक हेपेटाइटिस संक्रमित व्यक्तियों के मल से फैलने वाली बीमारी है। जगह-जगह पाइपलाइनों के लीकेज के कारण ये मल साफ पानी के संपर्क में आ जाता है. गर्मियों में पानी की अनियमित आपूर्ति के कारण स्थिति और भी खतरनाक हो जाती है।
सिस्टम की गड़बड़ी से फैल रहा है हेपेटाइटिस ए
जानकारी के मुताबिक, सबसे ज्यादा मामले एर्नाकुलम जिले के वेंगूर पंचायत से सामने आए हैं. 17 अप्रैल से अब तक वहां 200 लोग संक्रमित हो चुके हैं. उनमें से 41 गंभीर रूप से बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। एक युवक की मौत हो गयी. आगे जानकारी देते हुए शिल्पा सुदीश ने कहा कि राज्य जल बोर्ड द्वारा आपूर्ति किए गए दूषित पानी के कारण हेपेटाइटिस ए जैसी बीमारी फैल गई है. उन्होंने कहा कि पानी में क्लोरीन नहीं मिलाया गया है.