वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) के वर्गीकरण के लिए निवेश की सीमा 2.5 गुना बढ़ाने का ऐलान किया। उन्होंने बताया कि एमएसएमई भारत के निर्यात का 45% हिस्सा संभालते हैं और इस सेक्टर की ग्रोथ के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए जाएंगे।
एमएसएमई को भारत की अर्थव्यवस्था का दूसरा इंजन बताते हुए, वित्त मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में 5.7 करोड़ उद्यम हैं, जिनमें एक करोड़ से अधिक रजिस्ट्रेशन किए गए हैं। यह सेक्टर 7.5 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है और देश के मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 36% योगदान करता है। इसके माध्यम से भारत ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है, जो कुल निर्यात का 45% योगदान करता है।
एमएसएमई की वृद्धि को तेज करने के लिए सरकार निवेश और कारोबार सीमा को क्रमशः 2.5 गुना और 2 गुना बढ़ाएगी, ताकि यह क्षेत्र न केवल आगे बढ़े, बल्कि इनोवेशन और युवाओं के लिए अधिक रोजगार के अवसर भी सृजित कर सके।
महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उद्यमियों के लिए सरकार पहली बार दो करोड़ रुपये तक का लोन प्रदान करेगी। इसके तहत करीब पांच लाख महिलाओं और अन्य विशेष वर्ग के उद्यमियों को लाभ मिलेगा।
इसके अतिरिक्त, वित्त मंत्री ने एसएमई और बड़े उद्योगों के लिए एक मैन्युफैक्चरिंग मिशन शुरू करने की घोषणा की और यह भी कहा कि सरकार उन क्षेत्रों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कदम उठाएगी, जहां अधिक श्रम की आवश्यकता है।
इसके साथ ही, लोन गारंटी ‘कवर’ को दोगुना करके 20 करोड़ रुपये किया जाएगा और गारंटी शुल्क को घटाकर एक प्रतिशत किया जाएगा। इसके अलावा, बिहार में राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान की स्थापना की भी घोषणा की गई।