पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर देशभर में शोक की लहर है। अन्ना हजारे, जो इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन का चेहरा रहे हैं, ने भी डॉ. सिंह को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी। उन्होंने मनमोहन सिंह की शख्सियत, उनके योगदान, और उनकी यादों को हमेशा जीवित रहने वाला बताया।
मनमोहन सिंह: एक यादगार व्यक्तित्व
अन्ना हजारे ने कहा, “जो जन्मा है, उसे एक दिन जाना ही है। लेकिन कुछ लोग ऐसी यादें और विरासत छोड़ जाते हैं, जो हमेशा याद रखी जाती हैं। डॉ. मनमोहन सिंह ऐसे ही एक व्यक्ति थे। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को एक नई दिशा दी और अपने काम से देश को प्रगति के पथ पर आगे बढ़ाया।”
हजारे ने मनमोहन सिंह के बारे में कहा, “उनकी सोच हमेशा समाज और देश के कल्याण के लिए रही। उन्होंने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। यह उनकी दूरदर्शिता और निर्णय क्षमता का परिणाम था कि देश ने आर्थिक सुधारों की राह पकड़ी।”
आंदोलन के दौरान दो मुलाकातें
अन्ना हजारे ने याद करते हुए कहा कि जब वे भ्रष्टाचार और लोकपाल की नियुक्ति को लेकर आंदोलन कर रहे थे, तब उनकी मनमोहन सिंह से दो बार मुलाकात हुई। उन्होंने बताया,
“उनसे जब भी मिला, पाया कि वह तत्काल निर्णय लेने वाले व्यक्ति थे। वह सही और संतुलित फैसले लेते थे। उनके साथ हुई बैठकों से यह महसूस हुआ कि वे वाकई समाज और देश के हित में सोचते थे। उनके विचार हमेशा प्रेरणादायक रहेंगे।”
इंडिया अगेंस्ट करप्शन और अन्ना हजारे का आंदोलन
अन्ना हजारे ने लोकपाल की नियुक्ति और भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए एक ऐतिहासिक आंदोलन किया था। 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान में उनके अनशन और आंदोलन ने पूरे देश में हलचल मचा दी थी।
- इस आंदोलन का प्रभाव दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों में भी देखा गया।
- आंदोलन ने मीडिया और जनमानस का व्यापक ध्यान आकर्षित किया।
आंदोलन से आम आदमी पार्टी का उदय और मतभेद
इस आंदोलन से आम आदमी पार्टी (AAP) की नींव पड़ी, हालांकि अन्ना हजारे राजनीतिक दल के गठन के सख्त खिलाफ थे।
- आंदोलन के बाद अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के रास्ते अलग हो गए।
- हजारे का मानना था कि राजनीतिक दल बनाना आंदोलन के मूल उद्देश्य से भटकने जैसा होगा।
- इसके बाद भी अन्ना ने सार्वजनिक जीवन में भ्रष्टाचार के मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी।
अन्ना हजारे की निष्कलंक छवि
महाराष्ट्र के रालेगण सिद्धि गांव के निवासी अन्ना हजारे ने आंदोलन के बाद साधारण जीवन की ओर रुख किया।
- वे किसी राजनीतिक पद या प्रतिष्ठा से दूर रहे।
- उनकी सोच थी कि आंदोलन को राजनीतिक रंग देने से इसके भटकने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
हालांकि अन्ना ने अरविंद केजरीवाल की नीतियों पर कई बार सवाल उठाए हैं, जैसे दिल्ली शराब घोटाला। इसके बावजूद, केजरीवाल ने कभी भी अन्ना पर खुलकर टिप्पणी करने से परहेज किया है।