Ancient Tadition : उज्जैन के काल भैरव मंदिर का रहस्यमयी चमत्कार क्या है इसके पीछे का कारण

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Newsindia live,Digital Desk: यह मान्यता है कि उज्जैन में भगवान महाकाल के दर्शन तब तक पूरे नहीं होते हैं जब तक उनके परम भक्त काल भैरव के दर्शन नहीं कर लिए जाते हैं काल भैरव मंदिर भगवान शिव के काल भैरव अवतार को समर्पित एक अति प्राचीन मंदिर है यह मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्थित है जहाँ प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं मंदिर की प्रमुख विशेषता भैरव की पत्थर की प्रतिमा है जिसे विशेष रूप से वामाचार वामपंथीय प्रथा के रूप में एक औपचारिक भेंट के रूप में शराब चढ़ाई जाती है इस स्थान को लेकर कई तरह के रहस्यमय किस्से प्रचलित हैं

धार्मिक मान्यताएँ इस प्राचीन परंपरा से गहराई से जुड़ी हुई हैं जहाँ शिव की शक्तियाँ प्रकट होती हैं उज्जैन शहर में भगवान काल भैरव का एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित है कहा जाता है कि भैरव भगवान शिव के एक भयानक रूप हैं वे भगवान शिव के भैरव स्वरूप के मुखिया के रूप में प्रतिष्ठित हैं जिन्हें ग्यारह अलग अलग स्थानों पर देखा जाता है धार्मिक विद्वानों के अनुसार यह विश्वास व्यापक रूप से व्याप्त है कि उनीस करोड़ से अधिक देवी देवता निवास करते हैं वे भी भगवान काल भैरव से पहले किसी की पूजा करना पसंद नहीं करते हैं ऐसा माना जाता है कि वह इन तैतीस करोड़ देवताओं को भोग भी देते हैं

कालातीत शिव तांडव तांत्रिक ग्रंथों और लोकगीतों के बीच इस प्रथा ने मंदिर के अनुष्ठानों में एक महत्त्वपूर्ण और अभिन्न अंग बन लिया है इस विशिष्ट भेंट के रहस्य ने वैज्ञानिकों को भी मंदिर की यात्रा करने और उस अनोखे तरीके का अध्ययन करने के लिए आकर्षित किया है जिस तरह भैरव की पत्थर की प्रतिमा एक घंटे के भीतर लगभग आधे तरल पदार्थ को ग्रहण करती है कुछ कहानियाँ यह भी बताती हैं कि जब लोग उनकी प्रतिमा पर शराब चढ़ाते हैं तब उसमें से केवल एक दसवां हिस्सा बचता है जो उन्हें पूजा करते समय भी परेशान करता है

पुराणों और किंवदंतियों में काल भैरव को सर्वोपरि शिव के आठवें अवतार के रूप में महिमामंडित किया गया है ऐसा माना जाता है कि उन्हें भक्तों की समस्याओं को हल करने और उनके डर को खत्म करने की क्षमता प्राप्त है जब यह पता नहीं है कि काल भैरव का मंदिर कब बना था इसका पता नहीं चला लेकिन धार्मिक कथाओं में इसे हमेशा विशेष रूप से संदर्भित किया जाता है इसकी महिमा महाकाल का शासन है जिसका प्रभाव पूरी पृथ्वी पर और यहां तक कि आकाशगंगाओं पर भी है उनका कार्य शिव भक्तों को सभी आपदाओं से बचाने और उनके खतरों का विनाश करना है मंदिर हर वर्ष शिव भक्तों को भगवान काल भैरव की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जाना जाता है

परंपरागत रूप से भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे अपने दिन की शुरुआत शिप्रा नदी में एक पवित्र डुबकी लगाकर करें उसके बाद वे बाबा महाकाल को उनके ज्योतिर्लिंग के दर्शन करें उसके बाद उनके काल भैरव को भोग लगाना एक महत्वपूर्ण परंपरा मानी जाती है क्योंकि महाकाल के दर्शन को उनके ही आशीर्वाद से ही संपूर्ण माना जाता है इसका कारण शिव शक्ति का जुड़ाव और तांत्रिक प्रभावों से जुड़ा है

अंततः महाकाल के शहर उज्जैन में स्थित यह रहस्यमय और श्रद्धापूर्ण मंदिर रहस्यवाद परंपरा और गहरा विश्वास की निरंतर गाथा के रूप में कायम है इसकी रहस्यमयी शराब की प्रथा से लेकर दैवीय शक्तियों के बीच संबंध तक मंदिर श्रद्धालुओं और विद्वानों दोनों के बीच उत्सुकता को बढ़ावा दे रहा है

 

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