संभल और चंदौसी की खुदाई में मिले प्राचीन रहस्य: बावड़ी, सुरंग, और इमारत का हुआ खुलासा

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उत्तर प्रदेश के संभल और चंदौसी में चल रही खुदाई हर दिन नए-नए ऐतिहासिक रहस्यों से पर्दा उठा रही है। प्राचीन धरोहरों के साथ मंदिर, कुंआ, बावड़ी और सुरंग जैसी संरचनाओं की खोज ने क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया है। इन अवशेषों की खोज ने स्थानीय प्रशासन और पुरातत्वविदों का ध्यान आकर्षित किया है।

संभल में मंदिर और कुंआ मिला

संभल में खुदाई के दौरान एक प्राचीन मंदिर और कुंआ मिला है। माना जा रहा है कि यह स्थल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। खुदाई जारी है और प्रशासन द्वारा इसे संरक्षित करने की योजना बनाई जा रही है।

चंदौसी में प्राचीन बावड़ी और सुरंग का खुलासा

चंदौसी के लक्ष्मणगंज मोहल्ले में खुदाई के दौरान दबी हुई प्राचीन बावड़ी, इमारत, और सुरंग का पता चला है।

  • बावड़ी: खुदाई में मिली यह बावड़ी लगभग 150 साल पुरानी मानी जा रही है।
  • प्राचीन इमारत: बावड़ी के पास दो कमरों की एक प्राचीन इमारत का भी पता चला।
  • सुरंग: खुदाई के दौरान एक लंबी सुरंग का खुलासा हुआ, जिसने इस स्थल को और भी रहस्यमयी बना दिया।

प्रशासन ने संभाली कमान

सुरंग और प्राचीन संरचनाओं की खोज के बाद जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पैंसिया और पुलिस अधीक्षक कृष्ण कुमार विश्नोई ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया।

  • बावड़ी का क्षेत्रफल: अभिलेखों के अनुसार, यह बावड़ी 400 वर्ग मीटर में फैली है, लेकिन वर्तमान में इसका केवल 210 वर्ग मीटर हिस्सा ही बचा है।
  • अतिक्रमण हटाने के निर्देश:
    • शेष 190 वर्ग मीटर भूमि पर अतिक्रमण पाया गया है।
    • प्रशासन ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि बावड़ी के क्षेत्र का माप कर अतिक्रमण हटाया जाए।
  • पुरातत्व सर्वेक्षण: डीएम ने कहा कि बावड़ी और अन्य संरचनाओं के सर्वेक्षण के लिए राज्य पुरातत्व विभाग की टीम को बुलाया जाएगा।

खुदाई से जुड़ी अन्य जानकारियां

  • बांके बिहारी मंदिर: बावड़ी के पास स्थित बांके बिहारी मंदिर के जीर्णोद्धार का भी निर्णय लिया गया है।
  • स्थानीय प्रशासन का सहयोग: जिलाधिकारी ने मंदिर के आसपास की अतिक्रमित जमीन को खाली कराकर क्षेत्र के विकास की योजना बनाई है।

स्थानीय प्रशासन की सक्रियता

  • निरीक्षण:
    • एसडीएम नीतू रानी ने खुदाई का निरीक्षण किया।
    • लेखपाल दानवीर से क्षेत्र के नक्शे और इतिहास की जानकारी ली गई।
  • संरक्षण के प्रयास:
    • मंदिर और बावड़ी का जीर्णोद्धार सभी के सहयोग से किया जाएगा।
    • क्षेत्र को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित करने की योजना बनाई जा रही है।

ऐतिहासिक महत्व और आगे की योजनाएं

  • प्राचीन बावड़ी और सुरंग जैसी संरचनाएं स्थानीय इतिहास और वास्तुकला की झलक पेश करती हैं।
  • पुरातत्व विभाग द्वारा इन संरचनाओं का विस्तृत सर्वेक्षण और संरक्षण किया जाएगा।
  • प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाकर क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना है।