पूर्वजों ने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी, हम सही विमर्श के लिए लड़ रहे – मेवाड़ फेस्ट

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उदयपुर, 30 मार्च (हि.स.)। मेवाड़वासियों को कला व साहित्य जगत की हस्तियों से रूबरू करवाने और स्तरीय साहित्य का रसास्वादन कराने के उद्देश्य से कला-साहित्य पर चर्चा व चिंतन का दो दिवसीय उत्सव, मेवाड़ टॉक फेस्ट का शुभारंभ उदयपुर के मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में गोल्डन जुबली गेस्ट हाउस के बप्पा रावल सभागार में हुआ। युवा चिंतकों को साहित्य व चिंतन से जोड़ने की दृष्टि से आयोजित हुए इस महोत्सव के पहले ही दिन चिंतक लक्ष्मीनारायण भाला ‘लक्खी दा’ और रश्मि सामंत की चर्चाओं ने युवा चिंतकों और प्रबुद्धजनों में जोश का संचार किया।

उदीयमान भारत विषय पर आयोजित इस उत्सव का रंगारंग शुभारंभ नन्हीं बालिकाओं निर्वि और नित्या द्वारा गणेश वंदना पर नृत्य प्रस्तुति हुआ। इस दौरान मेवाड़ टॉक फेस्ट की समन्वयक रुचि श्रीमाली ने फेस्ट के आयोजन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। मिशा श्रीमाली ने एआई आधारित पुस्तक तथा रौनक उपाध्याय ने राष्ट्रीय स्वत्व के लिए संघर्ष का परिचय प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर बीपी शर्मा, मदनमोहन टांक, गोविंद अग्रवाल, राजेन्द्र लालवानी, नरेश कुमार यादव, डॉ. सुनील खटीक, संदीप सिंह राठौड़, कपिल पालीवाल, हेमंत जोशी, सतीश अग्रवाल व बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन व युवाचिंतक मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन आयुषी ने किया।

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की पहली महिला छात्रसंघ अध्यक्ष व ”अ हिन्दू इन ऑक्सफोर्ड” की लेखिका रश्मि सामंत ने मेवाड़ टॉक फेस्ट के शुभारंभ सत्र में भारत के टेंपल टाउन उडुपी से ऑक्सफोर्ड तक की यात्रा के बारे में बताया और कहा कि ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने इस विश्वविद्यालय में पढ़ने की उत्कंठा पैदा की। मेकेनिकल इंजीनियर की स्टूडेंट के रूप में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करते हुए उन्होंने गणेश प्रतिमा के नीचे लिखे वाक्य से सनातनी संस्कृति के प्रति पाश्चात्य अवधारणा और अपने कटु अनुभवों की शुरुआत की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पश्चिमी संस्कृति ने पग पग पर हमारे इतिहास, कला, संस्कृति और सनातनी मूल्यों पर हमला किया है और ऑक्सफोर्ड में इन्हीं कटु अनुभवों ने वहां पर क्रांति का बिगुल बजाने की शुरुआत की।

इस सत्र में उन्होंने युवाओं को गुलामी की मानसिकता को त्यागने व नेतृत्व क्षमता का विकास करने की आवश्यकता जताई और सकारात्मक चिंतन के साथ सफलता के लिए बुलंद इरादों के साथ प्रयास करने को प्रेरित किया। रश्मि सामंत के चर्चा सत्र के मॉडरेटर सुखाड़िया विश्विद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष व साहित्यकार डॉ. कुंजन आचार्य थे।

मेवाड़ टॉक फेस्ट के दूसरे सत्र में संविधान विशेषज्ञ, समाजसेवी एवं संस्कृतिकर्मी लेखक लक्ष्मीनारायण भाला ‘लक्खी दा’ ने भारत के संविधान के भीतर भगवान राम और कृष्ण के साथ ही सनातन संस्कृति और ऐतिहासिक घटनाओं का प्रतिनिधित्व करती हुई तस्वीरों का राज खोला और संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की। कलाप्रेमी लेखक संस्कृत, हिंदी, अंग्रेजी, असमिया, बांग्ला, मराठी, नेपाली और मारवाड़ी भाषा एवं ओड़िया तथा गुजराती लिपि के अच्छे जानकार भाला ने अपनी पुस्तक ‘संविधान भाव एवं रेखांकन’ पर चर्चा करते हुए बताया कि संविधान के विविध पृष्ठों पर चित्रकार नन्दलाल बोस द्वारा उकेरे गए चित्र सजावट के लिए नहीं अपितु प्रत्येक पृष्ठ की विषय वस्तु और परिवेश के आधार पर रचे हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के हर एक पृष्ठ और उस पर उकेरे गए चित्र के पीछे का एक विशिष्ट भाव है जो पृष्ठ की विषयवस्तु व भावों को प्रतिध्वनित करता है। उन्होंने चित्रों के सौंदर्य और चित्रकार के कलाकौशल की भी तारीफ की। संविधान में चित्रों के भावों पर आधारित पुस्तक के लेखन की पृष्ठभूमि भी वर्णित की और इसकी विषयवस्तु पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने संविधान के निर्माण की कहानी भी प्रस्तुत की। भाला के सत्र की मॉडरेटर लॉ कॉलेज की राजश्री चौहान थीं।

कार्यक्रम दौरान मुख्य अतिथि कश्ती फाउंडेशन प्रमुख श्रद्धा मुर्डिया, लक्ष्मीनारायण भाला, बीपी शर्मा, मदनमोहन टांक, गोविंद अग्रवाल आदि ने रश्मि सामंत की सद्य प्रकाशित हिंदी पुस्तक ”रामजन्मभूमि” का विमोचन किया।

मेवाड़ टॉक फेस्ट के तहत युवाओं को स्तरीय पुस्तकों और साहित्य के प्रति अनुरागी बनाने के उद्देश्य से एक पुस्तक मेले का आयोजन भी किया गया। इसमें 11 प्रकाशकों की 1 हजार से अधिक पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं।

फेस्ट समन्वयक रुचि श्रीमाली ने बताया कि रविवार को फेस्ट का तीसरा सत्र होगा जो प्रातः 9.30 बजे से प्रारम्भ होकर 1 बजे तक रहेगा। इस सत्र के तहत आइनोक्स में ”बंगाल 1947” फिल्म की स्क्रीनिंग होगी। इसके लिए इच्छुक दर्शक आनलाइन टिकट बुक कर सकते हैं। इस दौरान दर्शक फिल्म के निर्माता आदित्य आकाश लामा और अभिनेता से चर्चा कर सकेंगे।