लार्सन एंड टुब्रो के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन द्वारा सप्ताह में 90 घंटे काम करने की सलाह पर विवाद छिड़ गया है। सोशल मीडिया और सेलिब्रिटीज इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, और अब महिंद्रा ग्रुप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा ने भी अपने विचार साझा किए हैं। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि वह काम की गुणवत्ता में विश्वास करते हैं, न कि उसकी मात्रा में।
महिंद्रा ने कहा, “मैं नारायण मूर्ति और अन्य का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि यह बहस गलत दिशा में जा रही है। हमें काम की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि काम के घंटे।” उन्होंने यह भी कहा कि 10 घंटे में भी किसी व्यक्ति का आउटपुट महत्वपूर्ण होता है।
महिंद्रा ने समझाया कि सही निर्णय लेने के लिए एक व्यक्ति का दिमाग समग्र सोच से जुड़ा होना चाहिए। उन्होंने कला और संस्कृति का अध्ययन करने का महत्व बताया, यह कहते हुए कि इससे व्यक्ति बेहतर निर्णय ले सकता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि एक कार बनाने के लिए परिवार की जरूरतों को समझना आवश्यक है। यदि हम हमेशा कार्यालय में रहेंगे, तो हम यह नहीं समझ पाएंगे कि ग्राहक क्या चाहते हैं।
बता दें कि सुब्रह्मण्यन ने अपने कर्मचारियों से सप्ताह में 90 घंटे काम करने और रविवार को भी काम करने की बात कही थी, जिससे कार्य-जीवन संतुलन पर बहस फिर से तेज हो गई है। उन्होंने यह भी कहा था, “आप अपनी पत्नी को कितनी देर तक निहार सकते हैं?” इस विवादित बयान ने कार्यस्थल की संस्कृति पर फिर से ध्यान आकर्षित किया है।