उत्तर प्रदेश बजट सत्र 2025 में विरोध और हंगामे का माहौल

Up News

उत्तर प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र मंगलवार (18 फरवरी) को भारी विरोध-प्रदर्शन और हंगामे के साथ शुरू हुआ। मेरठ से समाजवादी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान ने जंजीरों में खुद को बांधकर सभा में प्रवेश किया, जबकि वे अमेरिका से डिपोर्ट किए गए अवैध अप्रवासी भारतीयों के साथ किए जा रहे अमानवीय व्यवहार का विरोध कर रहे थे।

एक अन्य विरोध प्रदर्शन में, समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्हा साइकिल पर “नैतिकता का अस्थि कलश” लेकर विधान भवन पहुंचे। तीन किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सिन्हा ने कहा, “प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है, लेकिन सरकार की ‘नैतिकता’ मर चुकी है। सरकार संवेदना जताने की बजाय मौत के आंकड़े छिपा रही है।” सिन्हा ने आगे आरोप लगाया कि सरकार ने राज्य के उपचुनावों में लोकतंत्र को लूटने का काम किया है, और इसीलिए वह ‘नैतिकता का अस्थि कलश’ लेकर आए हैं।

इसके साथ ही, समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने विधानमंडल परिसर में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के पास धरना दिया। हाथ में बैनर और तख्तियों के साथ सदस्यों ने “लाठी गोली की सरकार, नहीं चलेगी” और “आरक्षण विरोधी, दलित विरोधी, संविधान विरोधी सरकार नहीं चलेगी” जैसे नारों के साथ सरकार की विफलताओं पर नाराजगी जताई। वरिष्ठ सदस्यों सुधाकर सिंह और एच एन सिंह पटेल ने कहा कि पार्टी के विधायकों ने संभल, कुंभ समेत कई मुद्दों पर सरकार की नाकामी का विरोध किया है।

सपा के वरिष्ठ सदस्य अमिताभ त्रिवेदी ने कुंभ में मृतकों और स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के फर्जी आंकड़ों पर कड़ा आरोप लगाया और मांग की कि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा हो। वहीं, सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने भाजपा सरकार को जन विरोधी और किसान विरोधी करार दिया।

यह विधानसभा का इस साल का पहला सत्र था। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्षी समाजवादी पार्टी के सदस्यों के हंगामे के कारण कार्यवाही साढ़े बारह बजे तक स्थगित करनी पड़ी। सदन में विपक्ष ने “राज्यपाल वापस जाओ” के नारे लगाए, जिसके चलते राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने अपने अभिभाषण को सिर्फ आठ मिनट में समाप्त कर दिया। इसके बाद सत्र 12:30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।