अमित शाह का बड़ा ऐलान: हुर्रियत से जुड़े दो और संगठनों ने छोड़ा अलगाववाद

Amit shah 1 pti 1737766812019 17

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े दो और संगठनों ने अब भारत की एकता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। उन्होंने इसे कश्मीर में शांति और एकता की बड़ी जीत करार दिया है।

हुर्रियत से जुड़े दो और संगठनों ने तोड़ा नाता

अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (ट्विटर) पर यह जानकारी साझा करते हुए लिखा:

“कश्मीर घाटी से एक और बड़ी खुशखबरी। हुर्रियत से जुड़े दो और समूहों, जेएंडके तहरीकी इस्तेकलाल और जेएंडके तहरीक-ए-इस्तिकामत ने अलगाववाद को त्याग दिया है और प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी द्वारा निर्मित नए भारत में अपना विश्वास जताया है।”

शाह ने जोर देकर कहा कि मोदी सरकार में अलगाववाद अपनी अंतिम सांस ले रहा है और पूरे कश्मीर में एकता की गूंज सुनाई दे रही है।
इससे पहले मंगलवार को भी उन्होंने बताया था कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े जम्मू और कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (JKPM) और जेएंडके डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (JKDPM) ने भी अलगाववादी विचारधारा से नाता तोड़ लिया था।
गृह मंत्री ने इस बदलाव का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और उनकी दूरदर्शी नीतियों को दिया है।

गुलाम नबी सोफी का बड़ा बयान

जम्मू-कश्मीर तहरीक-ए-इस्तिकलाल के प्रमुख गुलाम नबी सोफी ने भी अलगाववाद छोड़ने का ऐलान किया। उन्होंने कहा:

 “मैंने तमाम मुश्किलों के बावजूद संघर्ष जारी रखा, लेकिन न तो गिलानी गुट और न ही मीरवाइज गुट आम जनता की उम्मीदों पर खरा उतर पाया। वे लोगों की भावनाओं का प्रतिनिधित्व करने में हर कदम पर विफल रहे।”

 “मैंने बहुत पहले ही अलगाववादी विचारधारा से नाता तोड़ लिया था और आज मैं आधिकारिक रूप से इसकी निंदा करता हूं। मैं भारत का सच्चा और प्रतिबद्ध नागरिक हूं और भारतीय संविधान में पूर्ण विश्वास रखता हूं।”

 सोफी ने स्पष्ट किया कि वे अब किसी भी अलगाववादी संगठन या विचारधारा से जुड़े नहीं रहेंगे।
 उन्होंने कहा कि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को हमेशा नजरअंदाज किया है।

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस पर मोहम्मद शरीफ सरताज का हमला

दो दिन पहले ही जम्मू स्थित ‘जेएंडके फ्रीडम मूवमेंट’ के प्रमुख मोहम्मद शरीफ सरताज ने भी अलगाववाद से नाता तोड़ने की घोषणा की थी।

उन्होंने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस (APHC) की विचारधारा को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि यह संगठन जम्मू-कश्मीर के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में पूरी तरह विफल रहा है।
सरताज ने खुद को भारत का एक निष्ठावान नागरिक बताते हुए राष्ट्रीय एकता और अखंडता बनाए रखने के लिए समर्पित रहने का संकल्प लिया।
उन्होंने अपने अलगाववादी संगठन ‘J&K फ्रीडम मूवमेंट’ (JKFM) को भी भंग करने की घोषणा की।

अलगाववाद के अंत की ओर बढ़ता कश्मीर

अमित शाह के इस ऐलान के साथ यह साफ हो गया है कि कश्मीर में अब अलगाववादी विचारधारा की पकड़ कमजोर हो रही है।

मोदी सरकार की सख्त नीतियों और विकास कार्यों ने अलगाववादियों को कमजोर कर दिया है।
पिछले कुछ वर्षों में कई पूर्व अलगाववादी नेता मुख्यधारा की राजनीति में शामिल हो चुके हैं।
अब घाटी में शांति और एकता की लहर तेज हो रही है, जिससे आतंकवाद और अलगाववाद पर गहरी चोट पड़ी है।