नई दिल्ली, 17 सितंबर (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले में आरोपित अमित कात्याल को खराब स्वास्थ्य के आधार पर नियमित जमानत दे दी है। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने अमित कात्याल को 10 लाख रुपये के मुचलके पर नियमित जमानत देने का आदेश दिया।
कोर्ट ने कहा कि आरोपित का स्वास्थ्य बीमार और कमजोर की श्रेणी में आता है, ऐसे में मनी लांड्रिंग कानून की धारा 45 के तहत उसे दोहरे टेस्ट को संतुष्ट करना जरूरी नहीं है। हाई कोर्ट ने विजय नायर को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत का जिक्र करते हुए कहा कि मनी लांड्रिंग कानून की धारा 45 का उपयोग मौलिक अधिकारों के आड़े नहीं आता है। हाई कोर्ट ने कहा कि आरोपित के कानून से बचकर भागने की कोई संभावना नहीं है, क्योंकि वो हमेशा ही जांच में सहयोग करता रहा है। इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और जितने साक्ष्य हैं वो दस्तावेजी हैं, जिनसे छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है।
22 मई को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने अमित कात्याल की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इस मामले में 9 जनवरी को ईडी ने चार्जशीट दाखिल की थी। ईडी ने चार्जशीट में बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, मीसा भारती, हिमा यादव, हृदयानंद चौधरी और अमित कात्याल को आरोपित बनाया है। ईडी ने अमित कात्याल को 11 नवंबर 2023 को गिरफ्तार किया था। लैंड फॉर जॉब मामले में ईडी के पहले सीबीआई ने केस दर्ज किया था। सीबीआई का मामला भी राऊज एवेन्यू कोर्ट में चल रहा है।
ईडी के मुताबिक कात्याल एके इंफोसिस्टम्स प्रा.लि. नामक कंपनी का डायरेक्टर था। इस कंपनी के जरिये कात्याल ने रेलवे के ग्रुप डी के विभिन्न अभ्यर्थियों से काफी कम रेट में जमीन ली। ईडी के मुताबिक इन भूखंडों को बाद में लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों के नाम कर दिया गया।
लैंड फॉर जॉब घोटाला मामले में सीबीआई ने भोला यादव और हृदयानंद चौधरी को गिरफ्तार किया था। भोला यादव 2004 से 2009 तक लालू यादव के ओएसडी रहे थे। लैंड फॉर जॉब घोटाला लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है। भोला यादव को ही इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है। आरोप है कि लालू यादव के रेल मंत्री रहते नौकरी के बदले जमीन देने के लिए कहा जाता था। नौकरी के बदले जमीन देने के काम को अंजाम देने का काम भोला यादव को सौंपा गया था।