अजमेर में दरगाह पर शिव मंदिर के दावे के बीच पीएम मोदी ने भेजी चादर, जानें पूरा मामला

Pm Modi Ajmer Sharif Chadar 1735

अजमेर में दरगाह शरीफ और शिव मंदिर के दावों के बीच चल रहे विवाद के बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर शरीफ दरगाह पर चढ़ाने के लिए चादर भेजी है। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी लगातार अजमेर शरीफ के उर्स के मौके पर चादर भेजते रहे हैं। इस बार यह चादर केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को सौंपी गई। वे इसे दरगाह तक पहुंचाएंगे।

पीएम मोदी का अजमेर शरीफ से जुड़ाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से हर साल अजमेर शरीफ के उर्स के अवसर पर चादर भेजने की परंपरा को निभाया है। यह उनका 11वां मौका है जब उन्होंने चादर भेजी है। 2023 में तीसरी बार सरकार बनाने के बाद यह उनकी पहली चादर है। पिछले साल, 812वें उर्स के दौरान, पीएम ने स्मृति ईरानी और जमाल सिद्दीकी के जरिए चादर भेजी थी।

दरगाह को शिव मंदिर बताने के विवाद की पृष्ठभूमि

हाल के दिनों में अजमेर शरीफ दरगाह विवादों में घिर गई है। विवाद तब शुरू हुआ जब राजस्थान के एक कोर्ट ने एक याचिका स्वीकार की जिसमें दावा किया गया कि अजमेर शरीफ दरगाह वास्तव में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया।

इसके बाद अजमेर दरगाह शरीफ कमेटी ने इस याचिका को खारिज करने की अपील की। मामले पर सुनवाई 24 जनवरी को होनी है। यह विवाद धार्मिक और सामाजिक स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है।

अजमेर शरीफ का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

अजमेर शरीफ दरगाह भारत की सबसे प्रसिद्ध सूफी दरगाहों में से एक है। यहां हर साल ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की पुण्यतिथि पर उर्स का आयोजन होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस साल का उर्स 28 दिसंबर से शुरू हुआ और यह 813वां उर्स है।

उर्स और चादर चढ़ाने की परंपरा

इस्लाम धर्म में उर्स के दौरान मजार पर चादर चढ़ाना एक पवित्र परंपरा मानी जाती है। इसे आशीर्वाद पाने और मन्नतें पूरी करने का प्रतीक माना जाता है। अजमेर शरीफ में चादर चढ़ाने की यह परंपरा न केवल आम श्रद्धालुओं बल्कि राजनीतिक और सामाजिक हस्तियों के बीच भी बेहद लोकप्रिय है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हालांकि, शिव मंदिर को लेकर चल रहे विवाद के बीच यह फैसला और भी महत्वपूर्ण हो गया है।

अजमेर दरगाह से जुड़ा यह विवाद और पीएम मोदी की चादर भेजने की परंपरा आने वाले समय में धार्मिक और राजनीतिक चर्चाओं में खास स्थान बनाए रखेगी।