अमेरिका ने 1 अगस्त की टैरिफ समय-सीमा में विस्तार से इनकार किया: भारत पर क्या होगा असर?

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नई दिल्ली: संयुक्त राज्य अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि वह 1 अगस्त को लागू होने वाले टैरिफ (Tariff) या आयात शुल्क में कोई विस्तार (Extension) नहीं देगा। इसका मतलब है कि इस तारीख से कुछ भारतीय सामानों पर अमेरिकी आयात शुल्क लागू हो जाएगा, जिससे वैश्विक व्यापार में और अधिक अनिश्चितता बढ़ सकती है।

टैरिफ का मतलब:
टैरिफ वह कर है जो एक सरकार अपने देश में बेचे जाने वाले आयातित सामानों पर लगाती है। इसका उद्देश्य घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाना और सरकारी राजस्व बढ़ाना हो सकता है।

किस पर होगा असर?
हालांकि लेख में विशेष रूप से यह उल्लेख नहीं किया गया है कि किन विशिष्ट भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लागू होगा, लेकिन यह आमतौर पर उन वस्तुओं पर होता है जिनके लिए अमेरिका अपने घरेलू उत्पादकों की रक्षा करना चाहता है या जो उनके राष्ट्रीय सुरक्षा हितों से जुड़ी होती हैं। पहले के ट्रेड वार्ताओं में, स्टील, एल्यूमीनियम और कुछ अन्य विनिर्माण वस्तुओं पर टैरिफ को लेकर चर्चा रही है।

भारत पर संभावित असर:

निर्यातकों को नुकसान: जिन भारतीय निर्यातकों के उत्पादों पर टैरिफ लगेगा, उन्हें अमेरिका में अपनी प्रतिस्पर्धात्मकता खोने का सामना करना पड़ सकता है। इससे उनके निर्यात में कमी आ सकती है।

लागत में वृद्धि: उपभोक्ताओं के लिए ये उत्पाद अधिक महंगे हो सकते हैं।

व्यापारिक संबंध: इस कदम से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव आ सकता है, और भारत भी जवाबी कार्रवाई के तौर पर कुछ अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगा सकता है।

आर्थिक अनिश्चितता: वैश्विक व्यापार युद्ध की संभावनाओं को बल मिलेगा, जिससे वैश्विक आर्थिक वृद्धि और अनिश्चितता बढ़ सकती है।

आगे क्या:
भारत सरकार और निर्यातकों को अमेरिकी सरकार की इस घोषणा पर बारीकी से नजर रखनी होगी और अपनी व्यापारिक रणनीतियों को तदनुसार समायोजित करना होगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत सरकार इस पर कैसे प्रतिक्रिया देती है और क्या वह जवाबी उपाय करती है।

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