उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) में संशोधन संभव, व्यावहारिक दिक्कतों के समाधान पर मंथन

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उत्तराखंड में जनवरी 2025 से लागू हुई समान नागरिक संहिता (UCC) में कुछ संशोधन किए जा सकते हैं। नए कानून के क्रियान्वयन के बाद कुछ व्यावहारिक चुनौतियां सामने आई हैं, जिनके समाधान के लिए शासन स्तर पर पुनर्विचार किया जा रहा है।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जल्द होने वाली उच्चस्तरीय बैठक में इस पर महत्वपूर्ण फैसले लिए जा सकते हैं। राज्य गृह विभाग ने इस संबंध में तैयारियां पूरी कर ली हैं।

संशोधन के संभावित बिंदु

1. ट्रांसजेंडर और समलिंगी विवाह का पंजीकरण

वर्तमान UCC में ट्रांसजेंडर और समलैंगिक विवाह के पंजीकरण को लेकर कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। अब इस पर नए नियम जोड़े जा सकते हैं।

2. विदेशी नागरिक से विवाह

विवाह पंजीकरण के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता विदेशी नागरिकों के मामलों में रुकावट बन रही है। इसे सरल बनाने के उपायों पर विचार किया जा रहा है।

3. लिव-इन रिलेशनशिप में पुलिस की अनिवार्य सूचना

नए कानून के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में पुलिस को सूचित करना अनिवार्य किया गया है, जबकि सामान्य विवाह में ऐसा नहीं है। इस प्रावधान को लेकर कई संगठन और राजनीतिक दल आपत्ति जता रहे हैं।

अन्य प्रमुख मुद्दे

  • नाबालिग रहते हुए किए गए विवाह का क्या होगा यदि व्यक्ति अब बालिग हो चुका है?

  • अंतरजातीय और अंतरराज्यीय विवाहों में उत्तराखंड के अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का किसी अन्य राज्य के अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति से विवाह होने पर नियम क्या होंगे?

  • विवाह पंजीकरण का एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरण कैसे होगा?

सरकार की तैयारी

राज्य सरकार द्वारा गठित हाईपावर कमेटी (HPC) इन मुद्दों पर मंथन कर रही है। इसके अलावा, विवाह पंजीकरण और तलाक-विच्छेद की प्रक्रिया को ऑनलाइन करने जैसे प्रस्तावों पर भी विचार हो रहा है।

अपर सचिव गृह निवेदिता कुकरेती ने कहा कि UCC के क्रियान्वयन में आ रही व्यावहारिक दिक्कतों का परीक्षण किया जा रहा है। इस संबंध में जल्द उच्चस्तरीय बैठक होगी, जिसमें संशोधन पर निर्णय लिया जाएगा।

आगे की राह

समान नागरिक संहिता के कुछ प्रावधानों पर सियासी और सामाजिक बहस जारी है। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इन चुनौतियों से निपटने के लिए क्या कदम उठाती है और UCC में क्या बदलाव किए जाते हैं।