पढ़ाई के साथ बच्चों के मानसिक व व्यवहारिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान दें: कलेक्टर

ग्वालियर, 13 अप्रैल (हि.स.)। स्कूली बच्चों को स्वस्थ, सक्षम एवं संकल्पित बनाने के लिए डबरा में “मन मित्र” कार्यक्रम के रूप में रचनात्मक पहल हुई है। भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी की डबरा शाखा के तत्वावधान में इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास का काम किया जाएगा। इस सिलसिले में शनिवार को डबरा के संत कँवरराम स्कूल में आयोजित हुए कार्यक्रम में कलेक्टर रुचिका चौहान ने स्कूली बच्चों को संबोधित कर अच्छे विद्यार्थी बनने के गुर बताए। उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद शिक्षकों व पालकों से कहा कि बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहारिक स्वास्थ्य अर्थात बरताव पर ध्यान देने की जरूरत है।

कलेक्टर रुचिका चौहान ने कहा कि स्कूलों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों मसलन अवसाद व चिंता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। खासकर इस पर गौर करने की जरूरत है कि बच्चे मादक द्रव्यों के व्यसन में न फस जाएँ। शिक्षकों व अभिभावकों को चाहिए कि बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार कर उनकी मन:स्थिति समझें और उन्हें उचित मार्गदर्शन दें। उन्होंने कहा कि लम्बे समय तक स्कूल में अनुपस्थिति, पढ़ाई पर ध्यान न देना, क्लास अटेंड न करना, पढ़ाई का काम समय पर पूरा न करना इत्यादि बातें बच्चों में दिखाई दें तो उसे गंभीरता से लें और सकारात्मक भाव से बच्चों की काउंसलिंग करें।

डबरा क्षेत्र के स्कूली बच्चों के लिए “मन मित्र” कार्यक्रम रेडक्रॉस सोसायटी के सहयोग से एसडीएम दिव्यांशु चौधरी द्वारा शुरू किया गया। एसडीएम चौधरी ने बताया कि प्रथम चरण में “मन मित्र” कार्यक्रम के तहत 9वी से 12वी कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिये खासतौर पर ग्रामीण स्कूलों में चलाया जाएगा। साथ ही डबरा शहर के भी कुछ स्कूल शामिल किए गए हैं। प्रथम चरण में 30 स्कूलों में यह कार्यक्रम संचालित होगा। कार्यक्रम के तहत हर शनिवार को एक विद्यालय में विशेषज्ञ वक्ताओं द्वारा बच्चों का मार्गदर्शन किया जाएगा। इसी कड़ी में पहले कार्यक्रम में कलेक्टर रुचिका चौहान शामिल हुईं।

संत कँवरराम स्कूल में आयोजित हुए कार्यक्रम में डबरा एसडीएम दिव्यांशु चौधरी, शहर के शिक्षाविद् एवं मुख्य वक्ता डॉ. उमाशंकर पचौरी तथा भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी डबरा के सचिव दीपक भार्गव भी शामिल हुए। इस अवसर पर बच्चों को विषय विशेषज्ञों द्वारा मार्गदर्शन दिया गया। कार्यक्रम का संचालन बसंत वाधवानी ने किया।