नई दिल्ली, 21 अगस्त (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या संरक्षित रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व घोषित हो चुके इलाकों में खनन गतिविधियों पर रोक लगाई जा सकती है। जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संरक्षित रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व का मतलब एक नेशनल पार्क या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी से दूसरे पार्क या सेंचुरी तक वाइल्ड लाइफ के निर्बाध आवागमन से है। कोर्ट ने कहा कि सरकार को ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि संरक्षित रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व इलाकों में अगर खनन गतिविधियों की इजाजत दी जाती है तो ये वाइल्ड लाइफ के निर्बाध आवागमन पर प्रतिकूल असर डालता है। सुप्रीम कोर्ट संरक्षित रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व के एक किलोमीटर के दायर में खनन की गतिविधियों के मामले पर सुनवाई कर रहा है। दरअसल 26 अप्रैल 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संरक्षित रिजर्व और सामुदायिक रिजर्व के एक किलोमीटर के दायरे में कोई खनन गतिविधि नहीं होगी।