वकील जज को ‘सर’ नहीं ‘माई लॉर्ड’ कहेंगे! बार एसोसिएशन में खींचतान के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पारित किया प्रस्ताव

इलाहाबाद उच्च न्यायालय : भारत में ब्रिटिश काल से चले आ रहे कानूनों को अंततः 1 जुलाई 2024 से संशोधन के साथ भारतीय न्यायपालिका संहिता में बदल दिया गया है लेकिन नए कानून में वर्षों से चले आ रहे न्यायाधीशों के संबोधन में भी संशोधन नहीं किया गया है . जजों के संबोधन को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है. आख़िरकार, वकीलों ने अपनी माँगें पूरी न होने पर जजों को ‘माई लॉर्ड’ के बजाय ‘सर’ कहने का निर्णय लिया है।

उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के वकील कई मांगों को लेकर पिछले दो दिनों से हड़ताल पर चले गए हैं और यह हड़ताल आज भी जारी है. वकीलों की इस हड़ताल से पूरा कामकाज ठप हो गया है. यह दावा अब विवाद का कारण बन रहा है। 

जज बनाम वकील की लड़ाई:

अब ये हड़ताल जज के खिलाफ वकील की हो गई है. ऐसा इसलिए क्योंकि बार एसोसिएशन ने एक नए प्रस्ताव में फैसला लिया है कि अब हाई कोर्ट में किसी भी मामले की सुनवाई के दौरान जजों को ‘माई लॉर्ड’ या ‘योर लॉर्डशिप’ कहकर संबोधित नहीं किया जाएगा. बार एसोसिएशन ने कहा कि उसने अब उन्हें ‘माई लॉर्ड’ या ‘योर लॉर्डशिप’ के बजाय ‘सर’ कहकर संबोधित करने का फैसला किया है.

दरअसल बार एसोसिएशन ने अपनी मांगों को लेकर एक बैठक की और मुख्य न्यायाधीश (CJI) समेत वरिष्ठ जजों के सामने अपनी बात रखी. हालाँकि, जजों और बार एसोसिएशन के बीच यह बातचीत किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँची और अंततः विफल रही। ऐसे में अब लगता है कि जज और वकील के बीच ठन गई है.

हालांकि जजों और बार एसोसिएशन के बीच इस विवाद पर वकीलों का कहना है कि जजों के व्यवहार और मनमानी सुनवाई प्रक्रिया के खिलाफ बार एसोसिएशन एक साथ आ गया है. मामले पर जानकारी देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने कहा कि एक जज को भगवान बनने से पीछे हटना चाहिए और एक आम आदमी की तरह जज करना चाहिए. 

उन्होंने आगे कहा कि यही कारण है कि बार एसोसिएशन ने फैसला किया है कि वकीलों को जज को ‘माई लॉर्ड’ नहीं बल्कि सर कहकर संबोधित करना चाहिए. इस संबंध में बार काउंसिल द्वारा एक प्रस्ताव भी पारित किया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल तिवारी ने भी कहा कि वकील पिछले 2 दिनों से इलाहाबाद हाईकोर्ट का बहिष्कार कर रहे हैं. इसके चलते सरकारी और निजी प्रैक्टिस करने वाले वकीलों पर सख्ती हो गई है।

इसके अलावा यदि कोई वकील कार्य बहिष्कार के दौरान शारीरिक रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित होता है तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं इस दौरान मौजूद सभी वकीलों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है.