इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 90 वकीलों को दिया सीनियर एडवोकेट का दर्जा, पांच महिलाएं भी शामिल
News India Live, Digital Desk: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में 90 वकीलों को 'सीनियर एडवोकेट' (वरिष्ठ अधिवक्ता) का प्रतिष्ठित दर्जा प्रदान किया है. खास बात यह है कि इस सूची में पांच महिला अधिवक्ता भी अपनी जगह बनाने में कामयाब रही हैं. हाईकोर्ट के इस कदम को न्यायिक क्षेत्र में एक सकारात्मक विकास के रूप में देखा जा रहा है.
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली कमेटी ने लिया फैसला
यह निर्णय इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की अध्यक्षता में हुई 'फुल कोर्ट' मीटिंग में लिया गया. इस कमेटी में मुख्य न्यायाधीश के अलावा अन्य वरिष्ठ न्यायाधीश भी शामिल थे. कमेटी ने विभिन्न मानदंडों, जैसे वकालत का अनुभव, कानूनी ज्ञान, ईमानदारी और पेशेवर नैतिकता के आधार पर इन 90 वकीलों के नामों पर अपनी अंतिम मुहर लगाई.
पांच महिला अधिवक्ताओं ने रचा इतिहास
वरिष्ठ अधिवक्ता का दर्जा पाने वाली पांच महिला वकीलों ने एक नई मिसाल कायम की है. इस सूची में शामिल महिला अधिवक्ता हैं:
- अनामिका जौहरी
- स्मिता अंबेडकर
- प्रियंका मिड्ढा
- प्रियदर्शिनी पटेल
- प्रीति सिन्हा
उनका यह सम्मान न केवल उनकी व्यक्तिगत कानूनी काबिलियत को मान्यता देता है, बल्कि युवा महिला वकीलों को भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा.
क्या होता है 'सीनियर एडवोकेट' का दर्जा?
'सीनियर एडवोकेट' का पदनाम किसी भी वकील के लिए एक बड़ा सम्मान माना जाता है. यह दर्जा उन वकीलों को दिया जाता है जिन्होंने कानून के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो और अपनी एक अलग पहचान बनाई हो. यह पदनाम हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया जाता है.
एक सीनियर एडवोकेट की कोर्ट में एक अलग पहचान होती है. वे आमतौर पर सीधे तौर पर केस फाइल नहीं करते, बल्कि जूनियर वकीलों द्वारा तैयार किए गए मामलों में बहस करते हैं. उनकी फीस भी सामान्य वकीलों की तुलना में अधिक होती है.
इस फैसले के बाद, इन सभी 90 वकीलों को अब से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में जाना जाएगा. यह न केवल उनके लंबे और सफल करियर का सम्मान है, बल्कि न्यायपालिका में उनकी विशेषज्ञता का भी प्रमाण है.
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