मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में मुस्लिम पक्ष को झटका देते हुए इलाहाबाद HC ने याचिका खारिज कर दी

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मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को झटका दिया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी. जबकि हिंदू पक्ष की अर्जी को सही माना गया है. कोर्ट ने हिंदू पक्ष की अर्जी पर सुनवाई को सही ठहराया है. जस्टिस मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने ये फैसला मंदिर के पक्ष में आया है. अब केस चलेगा. 

हिंदू पक्ष की अर्जी मंजूर कर ली गई

गौरतलब है कि इस मामले में हिंदू पक्ष ने 18 याचिकाएं दायर कर शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन को हिंदुओं की संपत्ति माना है. इसके साथ ही हिंदू पक्ष ने वहां पूजा करने का अधिकार भी मांगा. हिंदू पक्ष की अर्जी के बाद मुस्लिम पक्ष ने पूजा स्थल अधिनियम, वक्फ अधिनियम, परिसीमन अधिनियम और विशिष्ट कब्ज़ा राहत अधिनियम का हवाला देते हुए हिंदू पक्ष की याचिका खारिज करने की मांग की. लेकिन इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी है. यानी अब हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक साथ सुनवाई होगी.

 

 

बता दें कि 6 जून को जब इस मामले की सुनवाई हुई थी तो हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। हिंदू पक्ष की 18 अर्जियों के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने आदेश 7 और नियम 11 के तहत इन अर्जियों की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए अर्जी खारिज करने की अपील की.

हिंदू पक्षकारों ने क्या दी दलील?

  • ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ क्षेत्र भगवान कृष्ण का गर्भगृह है।
  • शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के पास जमीन का ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है.
  • श्री कृष्ण मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनाई गई है।
  • बिना मालिकाना हक के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी प्रक्रिया के इस जमीन को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है.

मुस्लिम पक्षकारों ने क्या दी दलील?

  • मुस्लिम पक्षकारों का तर्क है कि इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ था. 60 साल के बाद किसी कॉन्ट्रैक्ट को गलत कहना सही नहीं है. इसलिए मामला चलने योग्य नहीं है.
  • पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के तहत भी यह मामला चलने योग्य नहीं है।
  • धार्मिक स्थल की पहचान एवं स्वरूप वही रहेगा जो 15 अगस्त 1947 को था। अर्थात इसकी प्रकृति को बदला नहीं जा सकता.