सेल द्वारा अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन, शैलजा सिंह के जोशीले गीतों ने समां बांधा

कोलकाता, 06 सितंबर (हि.स.)। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने सितंबर माह के पहले सप्ताह में इस्पात भवन के सुसज्जित हॉल में हिंदी माह की शुरुआत अखिल भारतीय कवि सम्मेलन के आयोजन से की। इस कार्यक्रम का उद्घाटन सेल के निदेशक कार्यपालक (विपणन) संजय अग्रवाल और अन्य अधिकारियों के साथ-साथ आमंत्रित कवियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया।

कवि सम्मेलन का संचालन वरिष्ठ कवि रावेल पुष्प ने किया। इस दौरान दिल्ली से आईं कवियित्री शैलजा सिंह ने सरस्वती वंदना के बाद अपने कई प्रभावशाली गीत प्रस्तुत किए। उन्होंने विशेष रूप से एक गीत के माध्यम से देश की लड़कियों को आत्मनिर्भर और साहसी बनने का संदेश दिया। उनके गीत की पंक्तियां:

*”अरे लड़कियो! सुनो ज़रा

बात मेरी तुम गुनो ज़रा

रक्तसनी तस्वीर न बनना

जन गण मन की पीर न बनना

अब तो निकालो भीतर का डर

साथ में रक्खो छुरी औ’ नश्तर

दिल को अपने करो कठोर

चीखो चिल्लाओ पुरज़ोर

रेपीस्टों की बैंड बजानी

चल न पाए उनकी मनमानी

मर्दानी! तलवार चलाओ

झांसी की रानी बन जाओ…”*

श्रोताओं ने उनके इस गीत को खूब सराहा। इसके बाद शैलजा सिंह ने अपने एक और प्रसिद्ध गीत “जादूगरनी हूं मैं, जादू टोना कर दूंगी, आसमान के सूरज को भी बौना कर दूंगी” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

वीर रस के कवि नवीन कुमार सिंह ने अपने ओजस्वी स्वर में देशभक्ति के गीत प्रस्तुत किए, जिन पर खूब तालियां बजीं। वहीं, आसनसोल से आए हास्य कवि पवन बांके बिहारी ने अपने हंसी-मजाक से भरे गीतों से श्रोताओं को खूब हंसाया और ठहाके लगवाए।

इस दौरान, कोलकाता में हाल ही में हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना का भी कवियों द्वारा जिक्र किया गया। रावेल पुष्प ने इस घटना पर अपनी कविता “अब हम क्यों ना बनाएं एक ऐसा पुरअसर संस्थान, जहां बनें सिर्फ और सिर्फ इंसान!” सुनाकर श्रोताओं को गहरे विचार में डाल दिया।

सेल द्वारा इस कवि सम्मेलन ने न केवल साहित्यिक माहौल को समृद्ध किया, बल्कि कर्मचारियों में एक नया उत्साह भी भर दिया। इस आयोजन को सफल बनाने में महाप्रबंधक एस.के. सिंह, वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी अजय मिश्र, वरिष्ठ अनुवादक अमित दीक्षित, कपिल प्रसाद साव और अनूप कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा।