भारत की 1991 की उदारीकरण नीति को देश की वास्तविक क्षमता को उजागर करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जाता है। लेकिन अनुभवी निवेशक और जीक्वांट इन्वेस्टेक के संस्थापक शंकर शर्मा का मानना है कि इसके बाद का दौर भारत की विदेशी प्रौद्योगिकी और पूंजी पर निर्भरता बढ़ाने वाला साबित हुआ। इससे भारतीय कम्पनियों को अन्य देशों में अपना प्रभुत्व बढ़ाने में मदद नहीं मिली है।
कोई भी भारतीय कंपनी वैश्विक अग्रणी क्यों नहीं बन पाई है?
पॉडकास्ट में ऋषि सांघवी से बात करते हुए शर्मा ने कहा, “उन्होंने भारतीय कंपनियों को बहुत आसान रास्ता दिया- बस संयुक्त उद्यम करें, विदेशी पूंजी और तकनीक लें… और जीवन तैयार है। यही हमारी भारतीय कंपनियों ने आज तक किया है।”
इस मानसिकता के परिणाम दिखाते हुए शर्मा ने कहा, “हमारे पास एक भी ऐसी कंपनी नहीं है जो कम से कम दक्षिण एशिया में तो अपना दबदबा कायम कर सके। एशिया और यूरोप को तो छोड़ ही दीजिए, अमेरिका को तो भूल ही जाइए।”
एलन मस्क और भारत की नीति पर सवाल
शंकर शर्मा भारत सरकार द्वारा एलन मस्क और उनकी कंपनियों को दी जा रही छूट से भी नाराज दिखे। उन्होंने पूछा, “स्टारलिंक में ऐसा क्या खास है? यह एक निम्न-स्तरीय, निम्न-तकनीकी उत्पाद है… इसमें कुछ भी खास नहीं है।”
उनका सवाल था कि जब भारतीय कंपनियों को भारी लाइसेंस फीस और नियमों का सामना करना पड़ता है, तो एलन मस्क को भारत में इतना आसान रास्ता क्यों दिया जा रहा है? शर्मा ने कहा कि भारतीय कंपनियां विदेशी कंपनियों के साथ संयुक्त उद्यम स्थापित करके केवल पूंजी और प्रौद्योगिकी तक पहुंच हासिल कर रही हैं, लेकिन वे स्वयं मजबूत प्रौद्योगिकी आधार नहीं बना रही हैं।
एलन मस्क की स्टारलिंक ने भारत में अपना विस्तार किया
एलन मस्क की स्टारलिंक ने हाल ही में भारत के विभिन्न हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं शुरू करने के लिए रिलायंस जियो और एयरटेल के साथ साझेदारी की घोषणा की।
स्टारलिंक का लक्ष्य कम आबादी वाले और ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी को मजबूत करना है, जहां अभी तक अच्छी सेवा नहीं पहुंची है। अमेरिका में स्टारलिंक सदस्यता की लागत लगभग 110 डॉलर प्रति माह है। वहीं, भारत में जियो की सबसे सस्ती इंटरनेट सेवा साल भर में सबसे कम कीमत पर उपलब्ध है।
मस्क भारत में कारोबार बढ़ाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं?
एलन मस्क लंबे समय से भारतीय बाजार में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, पिछले महीने वाशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में उन्होंने भारत में इंटरनेट पहुंच बढ़ाने के लाभों पर जोर दिया था। उनका इरादा दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत में अपना कारोबार बढ़ाने का है।
अब ऐसा लगता है कि मस्क की रणनीति काम कर गई है, क्योंकि स्पेसएक्स ने भारत की दो सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनियों – जियो और एयरटेल के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। स्टारलिंक सेवा जल्द ही पूरे देश में शुरू की जाएगी।