उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 8 लाख 736 करोड़ 6 लाख रुपये का बजट पेश किया, जिसे अब तक का “सबसे बड़ा बजट” बताया गया। हालांकि, इस बजट पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तीखा तंज कसा है।
अखिलेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,
“लोग कह रहे हैं कि प्रवचन तो आ गया, लेकिन बजट कब आएगा? यह बजट खोखला है। इस बजट का झोला खाली है।”
उन्होंने योगी सरकार पर कटाक्ष करते हुए इसे सिर्फ “शब्दों का खेल” करार दिया।
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अखिलेश यादव का हमला – “यह बजट नहीं, बड़ा ढोल है”
योगी सरकार के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने गुरुवार को यूपी का बजट पेश किया। इस पर समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार की जमकर आलोचना की।
उन्होंने शायराना अंदाज में कहा:
“ये बजट नहीं, बड़ा ढोल है, जिसमें आवाज तो बहुत है, लेकिन अंदर से खाली है।”
अखिलेश ने सरकार पर महंगाई और बेरोजगारी को लेकर कोई ठोस कदम न उठाने का आरोप लगाया और कहा कि:
- “जो विधायक सदन में मेजें पीट रहे थे, अब उनके गले सूख गए हैं।”
- “अब वे अपने विभागों और विधानसभा क्षेत्रों में बेरोजगारी और महंगाई के सवालों का क्या जवाब देंगे?”
- “जनता पूछ रही है कि जुमला मंत्रालय के लिए कितना बजट आवंटित हुआ?”
किसानों और युवाओं को मिला झटका – “डबल इंजन सरकार का डबल ब्लंडर”
अखिलेश यादव ने कहा कि इस बजट से किसानों की उम्मीदें धूमिल हो गई हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि:
“पूरे यूपी के किसान चाहते थे कि गन्ने का मूल्य बढ़े, लेकिन डबल इंजन सरकार ने डबल ब्लंडर कर दिया।”
उन्होंने कहा कि सरकार एक ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी का दावा कर रही थी, लेकिन अब वह बात भी बजट में नहीं दिख रही।
“जिस रफ्तार से ये काम कर रहे हैं, उससे यूपी कभी ट्रिलियन इकॉनमी तक नहीं पहुंच पाएगा।”
“बिना विजन का बजट, कोई रोडमैप नहीं”
अखिलेश ने योगी सरकार के बजट को “बिना विजन” वाला करार देते हुए कहा कि इसमें यूपी के विकास के लिए कोई ठोस योजना नहीं है।
उन्होंने कहा:
“सरकार बार-बार कहती है कि यह अब तक का सबसे बड़ा बजट है, लेकिन यह हर बार कहा जाता है, क्योंकि अगला बजट हमेशा पहले से बड़ा ही होगा। सबसे बड़ा बजट पेश होने की बात केवल एक भ्रम है।”
उर्दू का मुद्दा उठाकर ध्यान भटकाने की कोशिश – अखिलेश का आरोप
अखिलेश यादव ने वित्त मंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि:
“इनका बजट बिना उर्दू के पूरा नहीं होता।”
उन्होंने आरोप लगाया कि:
- “सरकार ने जानबूझकर उर्दू का मुद्दा उठाया ताकि रोजगार और निवेश जैसे असली मुद्दों से ध्यान भटकाया जा सके।”
- “अगर वित्त मंत्री ने यह बजट मुख्यमंत्री को पहले दिखाया होता, तो शायद वे उर्दू के शेर नहीं पढ़ पाते।”
- “उर्दू भारतीय भाषा है, यह मेरठ और उसके आसपास के इलाकों से निकली है। इसे जबरदस्ती मुद्दा बनाया जा रहा है।”