अखल कुलगाम ऑपरेशन 8वें दिन में प्रवेश कर गया, 90 के दशक के बाद से जम्मू-कश्मीर का सबसे लंबा आतंकवाद विरोधी अभियान बना

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जम्मू और कश्मीर के कुलगाम जिले में चल रहा आतंकी मामला अब 8वें दिन में प्रवेश कर गया है और यह 1990 के दशक के बाद से जम्मू-कश्मीर का सबसे लंबा антитерर ऑपरेशन बन गया है। इस ऑपरेशन में सेना, पुलिस, सीआरपीएफ और स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप (SOG) की संयुक्त टीमें शामिल हैं। ऑपरेशन अकहल देवसर जंगल इलाके में जारी है, जहां आतंकवादी जंगल की घनी बनावट और आधुनिक उपकरणों जैसे नाइट विजन चश्मे और लंबी दूरबीन का उपयोग कर रहे हैं, जिससे सुरक्षाबलों को चुनौती मिल रही है।

अब तक इस ऑपरेशन में कम से कम तीन आतंकवादी मारे गए हैं जबकि नौ सैनिक विभिन्न प्रकार की चोटों के साथ घायल हुए हैं। सुरक्षा बल ड्रोन, हेलीकॉप्टर और यूएवी का इस्तेमाल कर आतंकवादियों के छिपे ठिकानों की तलाश कर रहे हैं। जवान बड़ी सतर्कता से कार्रवाई कर रहे हैं क्योंकि आतंकवादियों ने जंगल में मजबूत गढ़ बनाए हैं और वे जंगल युद्ध में प्रशिक्षित हैं।

स्थानीय लोग इस ऑपरेशन से प्रभावित हुए हैं और कई लोग आसपास के गांवों से खिसकने को मजबूर हुए हैं। अधिकारियों ने आपातकालीन नंबर जारी किए हैं ताकि प्रभावित लोगों की सहायता की जा सके। इस ऑपरेशन को खासतौर पर इस वर्ष का सबसे लंबा आतंकवाद विरोधी अभियान बताया जा रहा है।

यह ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ जारी संघर्ष का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें न केवल आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया जा रहा है, बल्कि आतंकवाद के वित्तीय नेटवर्क और सुरंगमार्गों को भी समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है।

तो कुल मिलाकर, कुलगाम का यह 8 दिन चलने वाला ऑपरेशन इस दशक का सबसे लंबा और जटिल आतंकवाद विरोधी अभियान है, जो सुरक्षा बलों की प्रतिबद्धता और साहस को दर्शाता है। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में उभर कर सामने आया है।

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