महाराष्ट्र की महायुति सरकार में शामिल उपमुख्यमंत्री अजित पवार की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने आगामी बृह्नमुंबई नगरपालिका (BMC) चुनावों में अकेले लड़ने का फैसला किया है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा और एकनाथ शिंदे की शिवसेना गठबंधन में साथ चुनाव लड़ेंगी, लेकिन एनसीपी के साथ सीट बंटवारे पर सहमति नहीं बन पाने के कारण अजित पवार ने “एकला चलो” की रणनीति अपनाई है।
अकेले लड़ने के पीछे दो मुख्य वजहें
- सीटों की संख्या और बंटवारे की समस्या:
बीएमसी में कुल 227 सीटें हैं। भाजपा और शिंदे गुट के मजबूत जनाधार के कारण वे एनसीपी को कम सीटें देने को तैयार थे, जो अजित पवार को मंजूर नहीं था। - मुंबई में एनसीपी का कमजोर जनाधार:
मुंबई के शहरी क्षेत्रों में एनसीपी का जनाधार अपेक्षाकृत कमजोर है। गठबंधन में चुनाव लड़ने से उन्हें सीमित सीटें मिलतीं, जिससे उनकी पार्टी के विस्तार की संभावनाएं प्रभावित होतीं। अकेले चुनाव लड़कर एनसीपी मुंबई में अपने आधार को मजबूत करने का प्रयास करेगी।
महायुति सरकार का मौजूदा परिदृश्य
महाराष्ट्र में नवंबर 2024 के विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन को निर्णायक बहुमत मिला था। भाजपा ने 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरकर महायुति सरकार बनाई। शिवसेना को 57 और एनसीपी को 41 सीटें मिली थीं। हालांकि, मुंबई के शहरी क्षेत्रों में अजित पवार की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली थी।
बीएमसी चुनावों में यह पहली बार होगा कि एनसीपी अकेले मैदान में उतरेगी। इसका उद्देश्य न केवल चुनावी सीटें जीतना है बल्कि मुंबई में पार्टी का राजनीतिक आधार बढ़ाना भी है।
भविष्य की रणनीति
अजित पवार का यह कदम बीएमसी चुनावों के साथ-साथ 2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनावों में एनसीपी की भूमिका और रणनीति को भी प्रभावित कर सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि “एकला चलो” की यह नीति एनसीपी को कितना फायदा पहुंचाती है।