‘IQAIR’ की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित देशों में भारत तीसरे स्थान पर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 83 भारतीय शहरों की हवा विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता दिशानिर्देशों से भी बदतर है। अब एक और रिपोर्ट ने भारतीयों की चिंता बढ़ा दी है. बुधवार को जारी स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के कारण 2021 में 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 1.6 लाख बच्चों की मृत्यु हो गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में दुनिया भर में वायु प्रदूषण के कारण 80 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इसमें भारत में 21 लाख और चीन में 23 लाख लोगों की मौत शामिल है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज पर आधारित अनुमान के अनुसार, दक्षिण एशिया में 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में वायु प्रदूषण से संबंधित मृत्यु दर 164 प्रति 100,000 है, जबकि विश्व औसत 108 प्रति 100,000 है।
भारत में सबसे ज्यादा बच्चों की मौत
वायु प्रदूषण ने 2021 में भारतीय बच्चों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। 2021 में बच्चों की मृत्यु में भारत में 169,400, नाइजीरिया में 114,100, पाकिस्तान, इथियोपिया में 31,100 और बांग्लादेश में 19,100 शामिल हैं।
सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है
रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर देखने को मिल रहा है. बच्चे वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के प्रति बहुत संवेदनशील होते हैं और वायु प्रदूषण से होने वाला नुकसान गर्भ में ही शुरू हो सकता है। स्वास्थ्य पर प्रभाव जीवन भर रह सकता है।
बच्चों में दिखे वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों के लक्षण
बच्चों में देखे जाने वाले प्रदूषण संबंधी स्वास्थ्य प्रभावों में समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन, अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियाँ शामिल हो सकती हैं। वायु प्रदूषण के संपर्क में आने के कारण 2021 में 5 वर्ष से कम उम्र के 2,60,600 से अधिक बच्चों की मृत्यु हो गई, जिससे यह कुपोषण के बाद दक्षिण एशिया में इस आयु वर्ग के लिए मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण बन गया।