बाल दृष्टिदोष से निपटने के लिए एम्स ने खोला विशेष क्लिनिक 

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नई दिल्ली, 14 नवंबर (हि.स.)। बच्चों में नजर कमजोर होने की बढ़ती समस्या को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली ने एक विशेष क्लिनिक की शुरुआत की है। गुरुवार को ‘चाइल्डहुड मायोपिया क्लिनिक’ का उद्घाटन एम्स निदेशक डॉ एम श्रीनिवास और आरपी सेंटर के प्रमुख डॉ जेएस तितियाल ने संयुक्त रूप से किया।

इस अवसर पर डॉ राजेंद्र प्रसाद नेत्र विज्ञान केंद्र के नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रो रोहित सक्सेना ने बताया कि पहले औसतन 6 वर्ष आयु के बच्चों में मायोपिया पाया जाता था, जो अब महज 3 वर्ष के बच्चों में भी देखा जा रहा है। इससे बचाव के लिए अभिभावकों के साथ स्कूल टीचर को भी प्रयास करने होंगे। बच्चों की आउटडोर एक्टिविटी बढ़ानी होगी और उन्हें हरे -भरे व खुले स्थानों पर खेलने के लिए प्रेरित करना होगा। साथ ही स्क्रीन टाइम में कमी लानी होगी।

प्रो. सक्सेना ने बताया कि आरपी सेंटर की ओपीडी में रोजाना 3 से 4 बच्चे नेत्र संबंधी शिकायतों के साथ आते हैं, जिन्हें नियमित नेत्र उपचार की जरूरत है। ऐसे करीब 1000 बच्चों को एम्स दिल्ली में एनरोल किया गया है। इन बच्चों को नेत्र संबंधी सभी जांच, परीक्षण, दवाएं, चश्में और चिकित्सकीय परामर्श की सुविधा एक ही छत के नीचे मिल सकेगी। प्रो. सक्सेना ने बताया कि 6- 7 साल आयु के बच्चे की आंखें कमजोर होने या मायोपिया से पीड़ित होने के बाद उसे चश्मा पहनना जरूरी होता है। अक्सर इस चश्मे का नंबर 17 -18 वर्ष की उम्र आते- आते काफी बढ़ जाता है। लिहाजा, ऐसे बच्चों को विशेष चश्मे प्रदान किए जाते हैं, जो बच्चे की आंखों को और ज्यादा कमजोर होने से बचाते हैं। यानि चश्मे के नंबर को बढ़ने से रोक देते हैं। इस चश्मे की कीमत 16- 18 हजार रुपये है, जिसे एम्स किफायती दरों पर भी उपलब्ध कराता है। जरुरतमंद बच्चों को निशुल्क प्रदान करता है।