दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है। AI तकनीक ने ऐसे क्षेत्रों में भी अपनी जगह बनाई है, जहां इसकी कल्पना मुश्किल थी। आपने AI एंकर के बारे में सुना होगा, लेकिन अब एक AI मॉडल भी चर्चा का विषय बनी हुई है, जो हर महीने लाखों रुपये की कमाई कर रही है।
इस AI फैशन मॉडल का नाम ऐताना लोपेज (Aitana Lopez) है। यह दिखने में बिल्कुल इंसानों जैसी लगती है, लेकिन इसे कंप्यूटर की मदद से डिज़ाइन किया गया है। ऐताना को स्पेन की कंपनी ‘द क्लूलस’ (The Clueless) ने बनाया है।
AI मॉडल बनाने का उद्देश्य
‘द क्लूलस’ कंपनी के मालिक रुबेन क्रूज (Rubén Cruz) ने AI मॉडल बनाने के पीछे का कारण साझा किया।
- उन्होंने बताया कि कई बार फैशन शो में मॉडल्स की अनुपलब्धता के कारण इवेंट कैंसिल हो जाते थे।
- इस समस्या को हल करने के लिए उनकी टीम ने ऐताना लोपेज जैसी AI मॉडल तैयार की।
- यह 25 साल की युवती का डिजिटल कैरेक्टर है, जिसे कंप्यूटर द्वारा पूरी तरह से डिजाइन किया गया है।
ऐताना लोपेज: एक वर्चुअल पर्सनालिटी
ऐताना केवल एक AI मॉडल नहीं है, बल्कि उसकी एक पूरी पर्सनालिटी तैयार की गई है।
- वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, ऐताना मिलनसार और दूसरों के प्रति देखभाल करने वाली है।
- दिखने में वह किसी इंसान की तरह ही प्राकृतिक लगती है, जो उसकी सबसे खास विशेषता है।
ऐताना की कमाई और विज्ञापन की दुनिया
- ऐताना लोपेज हर महीने 8.90 लाख रुपये तक कमा रही है।
- आम तौर पर उसकी मासिक आय करीब 2.67 लाख रुपये होती है।
- वर्तमान में, वह एक स्पोर्ट्स कंपनी के लिए विज्ञापन कर रही है।
इंस्टाग्राम पर बढ़ती लोकप्रियता
ऐताना लोपेज की सोशल मीडिया पर भी भारी फॉलोइंग है।
- उसके इंस्टाग्राम पर 3.43 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं।
- कई मशहूर हस्तियां भी उसे मैसेज करती हैं और उसकी पोस्ट्स पर प्रतिक्रिया देती हैं।
AI मॉडल्स की बढ़ती डिमांड
‘द क्लूलस’ कंपनी को अब विभिन्न ब्रांड्स और कंपनियों से AI मॉडल्स बनाने के लिए अनुरोध मिल रहे हैं।
- कई कंपनियां चाहती हैं कि उनके ब्रांड के लिए भी ऐसा AI मॉडल बनाया जाए।
- यह तकनीक फैशन और विज्ञापन उद्योग में एक नई क्रांति ला रही है।
AI मॉडल्स पर उठ रहे सवाल
हालांकि, जहां AI मॉडल्स की सराहना हो रही है, वहीं कुछ लोग इसकी आलोचना भी कर रहे हैं।
- आलोचकों का मानना है कि ये AI मॉडल असली इंसानों की तरह दिखने की कोशिश करते हैं, लेकिन वे वास्तविक नहीं होते।
- इससे युवाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि ये आदर्श मानकों को बदलने का काम कर रहे हैं।