कृषि वानिकी मॉडलों को विकसित किया जाना चाहिए : कृषि उपनिदेशक

C6ea751f2fc1aa12da034503335e27fc

प्रयागराज, 23 सितम्बर (हि.स.)। वैज्ञानिक एवं कृषकों के आपसी संवाद के बाद कृषि वानिकी मॉडलों को विकसित किया जाना चाहिए। कृषि वानिकी को बढ़ावा देने के लिए कृषि विभाग के प्रसार तंत्र एवं संशाधनों का उपयोग किया जा सकता है।

उक्त विचार मुख्य अतिथि उपनिदेशक कृषि डॉ.सत्य प्रकाश श्रीवास्तव ने भा.वा.अ.शि.प पारिस्थितिक पुनर्स्थापन केन्द्र, प्रयागराज द्वारा वन विज्ञान केन्द्र, गोरखपुर के अन्तर्गत “उत्तर प्रदेश के कृषि वानिकी मॉडल“ विषय पर आधारित दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारम्भ करते हुए व्यक्त किया।

सोमवार को आयोजित कार्यक्रम में पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन केन्द्र प्रयागराज के प्रमुख डॉ. संजय सिंह ने बताया कि कृषि वानिकी के माध्यम से हरित आवरण के साथ-साथ किसानों की आजीविका में भी वृद्धि सम्भव है। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम समन्वयक आलोक यादव ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की रूपरेखा से अवगत कराया।

प्रथम तकनीकी सत्र में वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.अनीता तोमर ने पॉपुलर आधारित कृषि वानिकी एवं डॉ. नीलम खरे एसोसिएट प्रोफेसर शुआटस ने चिरौंजी की खेती की सम्भावनाओं पर तथा वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. कुमुद दूबे ने मीलिया आधारित कृषि वानिकी विषय पर चर्चा की। प्रतापगढ़ के प्रगतिशील कृषक उत्कृष्ट पाण्डेय ने कृषि वानिकी में चन्दन की खेती पर प्रकाश डाला। केन्द्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने कृषि वानिकी के अन्तर्गत यूकेलिप्टस का उपयोग कृषि योग्य भूमि पर उच्च स्तर पर किया जाता है। उन्होंने बताया कि केन्द्र के पास उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त यूकेलिप्टस एवं पॉपुलर के क्लोन किसानों के लिए उपलब्ध हैं।

कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अनुभा श्रीवास्तव ने किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रथम दिवस कृषि वानिकी प्रशिक्षण हेतु लगभग 100 किसानों ने प्रतिभागिता की।