कृषि विभाग ने किसानों को बताए सुरक्षित अन्न भंडारण के उपाय

मेरठ, 17 मई (हि.स.)। अन्न भंडारण में किसानों के सामने आने वाली समस्याओं को कृषि विभाग ने दूर करने का बीड़ा उठाया है। कृषि विभाग ने किसानों को सुरक्षित अन्न भंडारण के उपाय बताए हैं और उनसे अपनाने का आह्वान किया है।

मेरठ मंडल के उप निदेशक (कृषि रक्षा) अशोक यादव ने बताया कि कृषि पद्धति में बुवाई, जुताई से लेकर कीट रोग प्रबंधन, पोषण प्रबंधन तथा कटाई के बाद उपज का भण्डारण भी प्रमुख कार्यों में सम्मिलित है। असुरक्षित अन्न भण्डारण में कीडे, कृतक, सूक्ष्म जीवों आदि के कारण फसल कटाई के बाद होने वाली क्षति खाद्यान्न का लगभग 10 प्रतिशत होता है। भारत में वार्षिक भण्डारण हानि का अनुमान 14 मिलियन टन है जिसकी कुल अनुमानित क्षति लगभग 7000 करोड़ रुपए में से अकेले कीटों द्वारा लगभग 1300 करोड़ रुपए की क्षति होती है। फसल कटाई के उपरान्त भण्डारण में होने वाली क्षति में से अकेले कीटों का योगदान 2-4.2 प्रतिशत तक है। भारत में भण्डारित उत्पादों में कीटों की लगभग 100 प्रजातियों आर्थिक क्षति पहुंचाने का कारण बनती है। सुरक्षित अन्न भण्डारण के उपायों करने से प्रतिवर्ष होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है।

भण्डारण में कीटों के प्रकोप का प्रमुख कारण: नमी-भण्डारित अन्न में यदि 10 प्रतिशत से अधिक नमी होती है तो कीटों की संख्या बढ़ने लगती है तथा अनाज में फफूँद भी तेजी से बढ़ती है। इसके फलस्वरूप अनाज में जमाव क्षमता कम हो जोती है और यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी होते है। यदि भण्डारण कक्ष या पात्र में पर्याप्त आक्सीजन उपलब्ध है तो कीटों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है। जिसे नियंत्रित किया जाना आवश्यक है।

तापक्रम-कीटों की बढ़वार एवं विकास के लिए 25-27 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त होता है। भण्डारण कक्ष में उपयुक्त तापमान बनाये रखने के लिए कीट हीट स्पॉट विकसित करते है। भण्डारण कक्ष का तापमान कम रखते हुए कीटों की बढ़वार रोकी जा सकती है।

कीटों के भण्डारण कक्ष में पहुंचने के प्रमुख कारण: खेत द्वारा सूंड वाली सुरसरी, छोटा पतंगा एवं पल्स बीटल बोरों या खेत में खड़ी फसल के दानों पर जो किसान की बिना जानकारी के विभिन्न अवस्थाओं में भण्डारण कक्ष में आ जाते है। मड़ाई के स्थान द्वारा-कुछ कीट थेसिंग फ्लोर पर पहले से ही उपलब्ध रहते है जो मड़ाई के समय अनाज के साथ भण्डारण कक्ष में आ जाते है। ढोने वाले साधन द्वारा-कुछ कीट ट्रैक्टर, ट्राली, बैलगाड़ी आदि में पहले से ही छिपे रहते है जो अनाज के साथ भण्डारण कक्ष में आ जाते है। पुराने भण्डार कक्ष द्वारा कुछ कीट भण्डार कक्ष में पहले से ही छिपे रहते है जो अन्न भण्डारण के समय अनुकूल परिस्थितियों देखकर अनाज पर संक्रमण कर दते हैं।

सुरक्षित अन्न भण्डारण हेतु सुझाव/संस्तुतियां: फसल की कटाई से लेकर भण्डारण कक्ष तक पूर्ण सावधानी बरतते हुए अनाज को लाना चाहिए जिससे अनाज में कीट की कोई प्रावस्था न रह जाये। जिस गोदाम, कुठला, भण्डारण गृह में भण्डारण करना है, उसकी भली प्रकार सफाई एवं मरम्मत करा लेना चाहिए। दरार या बिल आदि पूरी तरह सीमेंट से बंद कर देना चाहिए, जिससे चूहें, कीट या नमी का प्रवेश न हो। भण्डारण से पूर्व भण्डारण गृह, कुठला, बखारी आदि को गैलाथियान 50 प्रतिशत ईसी की 1ः100 के अनुपात में घोल बनाकर 3 लीटर प्रति 100 वर्गमीटर की दर से फर्श, दीवार एवं छत पर छिडकाव करने से छिपे हुए कीट मर जाते हैं। पुराने बोरों को कड़ी धूप में सुखाने या गैलाथियान 50 प्रतिशत ई०सी० के 1ः100 के अनुपात के घोल में 10 मिनट भिगोने से बोरों में छिपे कीट मर जाते है। अनाज को अच्छे प्रकार से धूप में सुखा लेना चाहिए, जिससे दानों में 10 प्रतिशत से अधिक नमी न रह जाये। धूप में सुखाने के पश्चात ठण्डा करके ही भण्डारण पात्रों आदि में रखना चाहिए।

यदि कक्ष या गोदाम में भण्डारण करना है तो फर्श पर 2.5 फुट मोटी, साफ, सूखा एवं नये भूत्ते की तह लगाकर बोरों की छल्ले दिवार से 2.5 फुट की दूरी पर लगाना चाहिए जिससे गोदाम में नमी से बचत होती है। यदि भण्डारण कक्ष में बोरियों में भण्डारण करना है तो पूरी ऊँचाई का 1/5 भाग छोडकर ही बोरियों की छल्ले लगाना चाहिए तथा कीटों की सुरक्षा की दृष्टि से एल्यूमीनियम फास्फाइड पाउडर पाउच 50 प्रतिशत 10 ग्राम पैकिंग का 150 ग्राम/100 घनमीटर या एल्यूमीनियम फास्फाइड 15 प्रतिशत 12 ग्राम पैकिंग का 600 ग्राम/100 घनमीटर की दर से बोरियों के बीच रख देते है तथा भण्डारण कक्ष को अच्छी तरह से बंद कर वायु रोधी कर देना चाहिए। एल्यूमीनियम फास्फाइड पाउडर पाउच 56 प्रतिशत के पैकेट को किनारे से काटकर अन्दर पाउच को निकालकर वैसे ही बोरियों के बीच में रखना चाहिए जबकि एल्यूमीनियम फास्फाइड 15 प्रतिशत की टेबलेट को कपडे में लपेट कर रखना चाहिए। यदि अनाज का भण्डारण कुठलो या बखारी में करना है तो एल्यूमीनियम फास्फाइड 50 प्रतिशत 10 ग्राम पाउडर की एक पाउच या एल्यूमीनियम फास्फाइड 15 प्रतिशत 12 ग्राम पैकिंग का एक टेबलेट का मे०टन अनाज में पूर्व में बताये गये तरीके अनुसार अनाज के बीच में रखकर कुठला या बखारी को पूरी तरीके से वायु रोधी कर देना चाहिए।

भण्डारण पात्रों की पेंदी पर बीच-बीच में एवं अनाज के साथ नीम की सूखी पत्तियों रखने पर कीट का प्रकोप नहीं होता है। अनाज को बखारी या बोरों में भण्डारित करने से पूर्व नीम सीड करनल/निमोली पाउडर 1 किलोग्राम प्रति कुंतल अनाज की दर से मिला देने पर कीट का प्रकोप नहीं होता है। प्याज और आलू के भण्डारण से पूर्व फर्श पर बालू की मोटी तह बिछाकर रखने से उच्च तापक्रम से बचा जा सकता है। बीज में प्रयोग हेतु भण्डारित किये जाने वाले अनाज को मैलाथियान 5 प्रतिशत पाउडर 250 ग्राम प्रति कुंतल मिलाकर भण्डारित करना चाहिए। रसायनों का प्रयोग किसी तकनीकी विशेषज्ञ की देखरेख में ही करना चाहिए। सुरक्षित अन्न भण्डारण से कीटो द्वारा अनाज/उपज की गुणवत्ता प्रभावित नहीं होती है जिससे कृषको को अपनी उपज का उचित मूल्य प्राप्त होता है।

कृषि विभाग दे रहा अनुदान

उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा विभिन्न पारिस्थितिकीय संसाधनों द्वारा कीट/रोग योजना के अन्तर्गत किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान पर (अधिकतम 2000 रुपए प्रति बखारी) 24 गेज के 5, 3 एवं 2 कुंतल के बखारियों पर अनुदान की व्यवस्था है। विभागीय पोर्टल पर पजीकृत कृषक डीबीटी के माध्यम से अनुदान प्राप्त कर सकते है। उन्होंने किसानों से सुरक्षित अन्न भण्डारण हेतु दिये गये सुझावों/संस्तुतियों का प्रयोग करने का अनुरोध किया है।