रांची, 2 जुलाई (हि.स.)। झारखंड सरकार में दो मंत्री पद अभी भी रिक्त हैं। संभव है कि बुधवार को आईएनडीआईए की होने वाली बैठक में कैबिनेट विस्तार को पूरा कर लिया जाए। साथ ही सत्ता में नेतृत्व परिवर्तन के कयासों पर पटाक्षेप होने की संभावना है। इसलिए यह बैठक कई मामलों में अहम मानी जा रही है। बैठक में तीनों सत्ताधारी दल झामुमो, कांग्रेस और राजद के विधायक, पार्टी पदाधिकारी के साथ भाकपा माले के विधायक भी शामिल होंगे।
कांग्रेस विधायक दल के नेता और चम्पाई सोरेन सरकार में संसदीय कार्य एवं ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के इस्तीफे के तीन सप्ताह से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद अभी तक उनके इस्तीफे से खाली हुई सीट को नहीं भरा जा सका है। चम्पाई सरकार के शपथ ग्रहण के दौरान झामुमो विधायक सह पूर्व मंत्री बैद्यनाथ राम को मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए राजभवन आने का आमंत्रण भी मिल गया था लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस की आपत्ति के बाद ऑन होल्ड कर दिया गया था।
इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने कहा कि राज्य में तेजी से राजनीतिक घटनाक्रम बदले हैं और महागठबंधन के नेता हेमंत सोरेन की जमानत हुई है। अभी जमानत का जश्न मनाया जा रहा है। इसके समाप्त होते ही कैबिनेट विस्तार का काम पूरा कर दिया जाएग। उन्होंने कहा कि कैबिनेट विस्तार को लेकर जितनी चर्चा राजनीतिक दलों में होती है उससे ज्यादा चर्चा मीडिया में हो रही है।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडेय ने कहा कि किसी भी बात को लेकर सहयोगी दलों में कहीं कोई जिद नहीं है। उन्होंने कहा कि 12वें मंत्री को लेकर सबकुछ तय है। उन्होंने कहा कि यदि झामुमो या कांग्रेस, राजद के बीच कोई भी बात या जिद रहेगी तो उसे उनके नेता कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन बड़ी कुशलता से दूर कर देंगे।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार आलमगीर आलम के इस्तीफे से खाली हुई मंत्रिपरिषद के एक पद पर जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी के नाम पर लगभग सहमति बन चुकी है लेकिन सारा पेंच 12वें मंत्री के पद पर फंसा है। झामुमो विधानसभा चुनाव से पहले एक दलित को मंत्री बनाकर जनता खासकर अनुसूचित जाति समाज में एक मैसेज देना चाहता है कि राज्य में महागठबंधन की सरकार दलितों को भी सत्ता की भागीदार बनाना चाहती है। इसलिए लातेहार से झामुमो विधायक पूर्व मंत्री बैद्यनाथ राम को मंत्री बनाए जाने की योजना है।
कांग्रेस शुरू से 12वें मंत्री पद को अपने हक का बताती है। यही वजह है कि राजभवन नाम जाने के बावजूद कांग्रेस के विरोध की वजह से बैद्यनाथ राम मंत्री बनते-बनते रह गए थे। वही स्थिति अभी भी बनी हुई है। आलमगीर की जगह इरफान को मंत्री बनाने में कहीं कोई परेशानी कांग्रेस आलाकमान को नहीं है।