जम्मू और कश्मीर समाचार : ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि पाकिस्तान एक बार फिर कारगिल में घुसपैठ की फिराक में है. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने चेतावनी दी है कि 150 आतंकवादी एलओसी पार कर पाकिस्तान की ओर भारत में घुसने की फिराक में हैं. सर्दी का समय शुरू होने वाला है. इस दौरान सेना को खबरें मिली हैं कि पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर में बर्फबारी से पहले ही बड़ी संख्या में आतंकियों की घुसपैठ कराने की तैयारी में है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान जा रहे हैं. ऐसे समय में ये खबरें सामने आई हैं.
1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शांति का संदेश लेकर लाहौर तक बस से यात्रा की थी. जिसके बाद पाकिस्तान ने कारगिल युद्ध ख़त्म कर दिया. इस बीच जब भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान जा रहे हैं तो सेना को जानकारी मिली है कि एलओसी पर 150 से ज्यादा आतंकी सक्रिय हैं. ऐसे में यह सवाल भी चर्चा में है कि क्या पाकिस्तान फिर से कारगिल युद्ध की तैयारी कर रहा है.
श्रीनगर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान बीएसएफ महानिरीक्षक (कश्मीर फ्रंट) अशोक यादव ने कहा कि हमारे पास जानकारी है कि एलओसी के पार कितने आतंकवादी हैं, इस जानकारी के आधार पर हम किसी भी तरह की घुसपैठ को नाकाम करने में सफल हैं.
अगर पाकिस्तान की ओर से किसी भी तरह की घुसपैठ की कोशिश की गई तो कड़ा जवाब दिया जाएगा. आमतौर पर एलओसी के पास 130 से 150 आतंकियों के होने की जानकारी है, लेकिन ये ज्यादा भी हो सकते हैं.
इसके साथ ही उन्होंने नार्को-टेररिज्म के बारे में भी जानकारी दी, उन्होंने कहा कि एलओसी पर पाकिस्तान से ड्रग्स की तस्करी की कोशिश की जा रही है. इन दवाओं के बदले मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद में किया जाता है।
ऐसी भी खबरें हैं कि जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए शांतिपूर्ण चुनावों ने इस शांति का दिखावा करने के लिए आतंकवादियों की घुसपैठ कराने की पाकिस्तान की भूख को बढ़ा दिया है।
बीएसएफ आईजी ने कहा कि सीमा के पास के कुछ गांव संवेदनशील हैं. तंगधार और केरन सेक्टर में स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक हो सकती है। हमने इस क्षेत्र में मोबाइल बंकर तैनात किए हैं।’ इतना ही नहीं, इलाके में महिला जवानों को भी तैनात किया गया है क्योंकि हमें जानकारी मिली है कि ड्रग तस्कर महिलाओं को ड्रग्स की सप्लाई के लिए भेज सकते हैं. फिलहाल सीमा पर युद्ध की स्थिति से निपटने के लिए जवानों को पारंपरिक हथियार प्रशिक्षण के साथ-साथ आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाता है।