इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी ने भारतीय पासपोर्ट सरेंडर करने के लिए आवेदन कर दिया है। उन्हें प्रशांत महासागर स्थित द्वीपीय देश वनुआतु की नागरिकता मिल गई है। मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा कानूनों के उल्लंघन के आरोपी ललित मोदी 2010 में भारत छोड़कर चले गए थे और तब से लंदन में रह रहे थे। अब किसी और देश की नागरिकता मिलने के बाद उनके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया और भी जटिल हो सकती है।
ऑफिस में कुर्ता पहनने का सही तरीका: कैसे दिखें स्टाइलिश और फॉर्मल?
विदेश मंत्रालय का बयान
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने जानकारी दी कि ललित मोदी ने भारतीय उच्चायोग, लंदन में अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए आवेदन किया है। माना जा रहा है कि मोदी लंबे समय से लंदन में ही रह रहे थे। 30 दिसंबर 2024 को उन्हें आधिकारिक रूप से वनुआतु की नागरिकता प्रदान कर दी गई थी।
क्या है मामला?
ललित मोदी पर 2009 में IPL के लिए 425 करोड़ रुपये की टीवी डील में अनियमितताओं के आरोप लगे थे। यह डील वर्ल्ड स्पोर्ट्स ग्रुप के साथ हुई थी। जांच एजेंसियां उनसे सिर्फ एक बार ही पूछताछ कर पाईं, जिसके बाद वह देश छोड़कर चले गए। 2010 में बीसीसीआई ने उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में निलंबित कर दिया और 2013 में आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया। 2015 में मुंबई की एक विशेष अदालत ने उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था।
वनुआतु क्यों चुना?
वनुआतु एक छोटा द्वीपीय देश है जो 80 से अधिक द्वीपों से मिलकर बना है और इसकी आबादी मात्र 3 लाख के करीब है। यह देश 1980 में फ्रांस और ब्रिटेन से स्वतंत्र हुआ था। वनुआतु का इन्वेस्टमेंट प्रोग्राम विदेशी नागरिकों को 1.3 करोड़ रुपये के निवेश पर नागरिकता प्रदान करता है। प्रत्यर्पण मामलों में इस देश की नीतियां काफी जटिल हैं, जिससे ललित मोदी का प्रत्यर्पण मुश्किल हो सकता है।
ललित मोदी ने पहले भी खुद को निर्दोष बताया है, लेकिन भारतीय एजेंसियां अब भी उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी रखने के लिए विकल्प तलाश रही हैं।