जया बच्चन की मॉडर्न राय के बाद अब चर्चा में मालिनी अवस्थी का देसी जवाब

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News India Live, Digital Desk : शादियों का सीजन (Wedding Season) चल रहा हो और इस पवित्र रिश्ते पर बहस न छिड़े, ऐसा कैसे हो सकता है? पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया और न्यूज़ डिबेट्स में एक ही मुद्दा छाया हुआ है "क्या शादी करना ज़रूरी है?"

यह बहस तब गरमाई जब बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री और सांसद जया बच्चन (Jaya Bachchan) का एक बयान सामने आया। उनके विचारों को लेकर लोगों में तरह-तरह की बातें हो ही रही थीं कि अब मशहूर लोक गायिका (Folk Singer) मालिनी अवस्थी (Malini Awasthi) ने मैदान में एंट्री मारी है। उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया है जो भारतीय संस्कारों में विश्वास रखने वाले लोगों के दिल को छू रहा है।

"शादी तो सभी को करनी चाहिए"

जहां आजकल की जनरेशन 'लिव-इन' और 'सोलोगैमी' (खुद से शादी) जैसी बातों में उलझी है, वहीं मालिनी अवस्थी ने बड़ी सादगी से शादी की वकालत की है। हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान, जब उनसे शादी और रिश्तों पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने बड़ी ही प्यारी मुस्कान के साथ कहा—"शादी तो सभी को करनी चाहिए।"

उनका मानना है कि यह सिर्फ एक बंधन नहीं है, बल्कि जीवन का एक खूबसूरत पड़ाव है। अकेले सफर करना आसान लग सकता है, लेकिन एक साथी के साथ जीवन के उतार-चढ़ाव को जीने का मज़ा ही कुछ और है।

जया बच्चन से बिल्कुल अलग राय?

बात दरअसल यह है कि कुछ समय पहले जया बच्चन, जो अपनी बेबाक टिप्पणियों के लिए जानी जाती हैं, के एक बयान ने सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी थी। उनके बयानों को अक्सर आधुनिक और थोड़े सख्त मिज़ाज़ के रूप में देखा जाता है। वहीं, दूसरी तरफ मालिनी अवस्थी ने बिल्कुल ठेठ भारतीय अंदाज़ में बात रखी।

मालिनी का कहना है कि हमारी संस्कृति में शादी को 'संस्कार' माना गया है। यह दो लोगों का नहीं, बल्कि दो परिवारों और समाज का जुड़ाव है। उन्होंने बातों-बातों में यह सन्देश दे दिया कि आधुनिकता अपनी जगह है, लेकिन परंपराओं (Traditions) का सुकून अपनी जगह।

फैंस बोले- "यही तो हमारी संस्कृति है"

जैसे ही मालिनी अवस्थी का यह वीडियो और बयान सामने आया, इंटरनेट दो हिस्सों में बंट गया। एक धड़ा जया बच्चन की 'इंडिपेंडेंट सोच' का समर्थन कर रहा है, तो वहीं एक बहुत बड़ा तबका मालिनी अवस्थी की बातों पर ताली बजा रहा है।

लोग कमेंट कर रहे हैं कि, "मैम, आपने दिल की बात कह दी। अंत में तो इंसान को साथी की ज़रूरत पड़ती ही है।" कुछ ने लिखा कि मालिनी जी का अंदाज़ और सोच आज भी हमारी जड़ों से जुड़ी हुई है, जो बहुत दुर्लभ है।

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