आख़िर कांग्रेस के सामने कैसे झुके उद्धव ठाकरे? लोकसभा में ज्यादा सीटों के लिए लड़े लेकिन अब किया ये समझौता

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महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी गठबंधन में सीट बंटवारे पर सहमति अंतिम चरण में बताई जा रही है। सूत्रों का कहना है कि उद्धव ठाकरे गुट कांग्रेस, उद्धव सेना और शरद पवार की एनसीपी के बीच सीट बंटवारे के समझौते से मुकर गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कांग्रेस 105 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. जबकि उद्धव सेना को 96 से 100 सीटें मिल सकती हैं. एनसीपी-शरद पवार को करीब 85 सीटें मिल सकती हैं. 

ऐसे में साफ है कि उद्धव सेना को कांग्रेस से कम सीटें मिलेंगी. ये पूरा समझौता उद्धव सेना के साथ छोड़ने की वजह से संभव हो सका. लगातार मांग थी कि वह 125 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. फिर अचानक आखिर ऐसा क्या हुआ कि उद्धव सेना को कांग्रेस से भी 125 कम सीटों पर संतोष करना पड़ा. लोकसभा में इसका उलटा हुआ. जबकि उद्धव सेना ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा और 9 सीटों पर जीत हासिल की. जबकि कांग्रेस ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और 13 सीटों पर जीत हासिल की. माना जा रहा है कि इस स्ट्राइक रेट को सामने रखकर ही कांग्रेस ने उद्धव सेना को मनाया और वह कम सीटें लेने के लिए तैयार हुए. 

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और उद्धव सेना के संजय राउत के बीच लंबी बातचीत भी हुई. इतना ही संजय राउत ने कहा कि नाना पटोले इस बैठक में शामिल नहीं होना चाहेंगे. बताया जाता है कि तब शरद पवार ने हस्तक्षेप किया था और उद्धव ठाकरे से बातचीत की थी. माना जा रहा है कि उनकी करीब दो घंटे की बातचीत से स्थिति संभली. तब कांग्रेस ने तर्क दिया था कि विदर्भ में उनका अच्छा आधार है लेकिन वहां उद्धव सेना की स्थिति कमजोर है. ऐसे में उनके वहां की सीटों से चुनाव लड़ने से नुकसान होगा. वह बीजेपी के खिलाफ सीधे मुकाबले में नहीं जीत पाएंगे.’ इसलिए वहां कांग्रेस को मौका मिलना चाहिए. कांग्रेस ने इसके लिए लोकसभा चुनाव का स्ट्राइक रेट भी पेश किया. आख़िर में उद्धव सेना को मानना ​​पड़ा कि कांग्रेस को ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए. 

कांग्रेस को लगा कि अमरावती, नागपुर, रामटेक और पुणे जैसे इलाकों में उद्धव सेना की मौजूदगी कमजोर है. इसलिए यहां की सीटों पर उन्हें ज्यादा मौका मिलना चाहिए. तो जीतने की संभावना बढ़ जाएगी. वहीं अंत में उद्धव सेना ने भी बराबरी का प्रस्ताव रखा. जिसमें कहा गया कि उद्धव सेना और कांग्रेस को 100-100 सीटें मिलेंगी जबकि एनसीपी-एसपी को 88 सीटें दी जाएंगी. जिस पर कांग्रेस अड़ गई और अंत में कांग्रेस 100 से ज्यादा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. जबकि उद्धव सेना को उनसे 5-10 सीटें कम मिलेंगी.