ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के बोनाईगढ़ स्थित आरडीडी हाई स्कूल में एक दुखद घटना सामने आई, जहां 300 बार उठक-बैठक करने के बाद एक छात्र की मौत हो गई। इस मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने शिक्षक रमेश चंद्र सेठी को मृतक के परिवार को 1 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया।
हालांकि, अदालत ने कहा कि अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से दी गई यह शारीरिक सजा जुवेनाइल जस्टिस केयर एंड प्रोटेक्शन एक्ट 2015 के तहत अपराध नहीं मानी जा सकती।
क्या है पूरा मामला?
- नवंबर 2019 में, एनसीसी प्रभारी शिक्षक रमेश चंद्र सेठी ने छात्र को अनुशासनात्मक कार्रवाई के तहत 300 बार उठक-बैठक करने की सजा दी।
- इस सजा के तुरंत बाद छात्र की तबीयत बिगड़ गई और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
- 2 नवंबर 2019 को एमकेसीजी मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान छात्र की मौत हो गई।
- इस घटना के बाद शिक्षक के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।
हाई कोर्ट का फैसला: “मुआवजा राहत के लिए, न कि दोष स्वीकार करने के लिए”
ओडिशा हाई कोर्ट के जस्टिस शिबो शंकर मिश्रा की एकल पीठ ने कहा कि मुआवजा देना दोष स्वीकार करने के बराबर नहीं है, बल्कि शोक संतप्त परिवार को राहत देने का प्रयास है।
“एक युवा ने अपनी जान गंवा दी। कोई भी मुआवजा इस अपूरणीय क्षति की भरपाई नहीं कर सकता।”
“मेडिकल रिपोर्ट शिक्षक की सीधी दोषसिद्धि को नकारती है। यह राज्य का कर्तव्य है कि सरकारी स्कूलों और छात्रावासों में रहने वाले छात्रों को उचित चिकित्सा सहायता और सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जाए।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि बच्चे की जान की कीमत किसी भी आर्थिक मुआवजे से अधिक होती है और माता-पिता को यह राशि उनके बच्चे के प्यार, देखभाल और नुकसान के लिए दी जा रही है।
शिक्षक के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई रद्द
ओडिशा हाई कोर्ट ने टीचर रमेश चंद्र सेठी के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई को रद्द कर दिया।
- इससे पहले, उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 की धारा 82 के तहत मामला दर्ज किया था।
- 4 मार्च 2025 को हाई कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) की धारा 482 के तहत इस कार्रवाई को रद्द करने का आदेश दिया।
- अदालत ने माना कि शिक्षक का उद्देश्य अनुशासन बनाए रखना था, न कि जानबूझकर छात्र को नुकसान पहुंचाना।