अफगानिस्तान की महिला क्रिकेट टीम ने करीब चार साल बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में वापसी की है। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानिस्तान की महिला खिलाड़ियों को न केवल डोमेस्टिक क्रिकेट खेलने से रोका गया था, बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भी भाग लेने का अवसर नहीं मिला। लेकिन अब, साल 2021 के बाद अफगानिस्तान की महिला टीम फिर से मैदान पर उतरेगी। शरणार्थियों के रूप में ऑस्ट्रेलिया पहुंचे अफगानिस्तान की महिला क्रिकेटर्स ने करीब चार साल के अंतराल के बाद फिर से क्रिकेट खेलना शुरू किया है। गुरुवार को ये खिलाड़ी ‘क्रिकेट विदाउट बॉर्डर्स’ एकादश के खिलाफ एक T20 मैच खेलेंगी।
यह टीम अफगानिस्तान से ऑस्ट्रेलिया आए उन शरणार्थियों में से बनी है जो कैनबरा और मेलबर्न में रह रहे हैं। यह मैच ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच महिला एशेज टेस्ट से पहले खेला जाएगा। क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी, निक हॉकली ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह एक बड़ा कदम है और हम उम्मीद करते हैं कि यह मैच हर साल आयोजित हो और इस टीम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिले।”
ऑस्ट्रेलिया, जो पुरुष क्रिकेट में अफगानिस्तान से द्विपक्षीय मैच नहीं खेलता, ने अब अफगानिस्तान की महिला क्रिकेट को समर्थन देने का महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह कदम तालिबानी शासन को एक कड़ा संदेश देता है। हालांकि, इस समय दुनिया के कई देशों की महिला खिलाड़ी अंडर-19 टी20 विश्व कप में भाग ले रही हैं, अफगानिस्तान की महिला टीम इस प्रतियोगिता में शामिल नहीं है। अब, दुनिया के देशों को अफगानिस्तान की महिला क्रिकेट को पुनर्जीवित करने और इसके अस्तित्व की रक्षा करने के लिए एकजुट होना होगा।
आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 से पहले, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट बोर्ड के अधिकारियों ने अफगानिस्तान के खिलाफ मैच से पीछे हटने की सलाह दी है, यह कहते हुए कि अफगानिस्तान में महिला क्रिकेटरों को खेल खेलने से रोकना मानवाधिकारों का उल्लंघन है।