प्रयागराज, 08 जुलाई (हि.स.)। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पीसीएस जे परीक्षा 2022 की उत्तर पुस्तिकाओं में लोक सेवा आयोग द्वारा गड़बड़ी की बात स्वीकार करने के बाद कोर्ट में आयोग के अध्यक्ष की ओर से एक हलफनामा दाखिल किया गया। आयोग ने अपने हलफनामे में कोर्ट द्वारा पिछली तारीख पर मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराई।
आयोग ने एक सीलबंद रिपोर्ट भी पेश की। लोक सेवा आयोग की तरफ से उनके वकील ने कोर्ट को बताया कि उत्तर पुस्तिकाओं में संशोधन के बाद जो मेरिट बनेगी, उसमें पूर्व में चयनित सात अभ्यर्थी मेरिट लिस्ट से बाहर हो जाएंगे। इस संशोधित मेरिट सूची के चलते छह नए अभ्यर्थी शामिल हो जाएंगे। उन्हें साक्षात्कार के लिए बुलाया जाएगा।
याचिका श्रवण पांडेय ने दाखिल किया है। उनके सीनियर अधिवक्ता एस एफ ए नक़वी ने हिंदी की उत्तर पुस्तिका में कम अंक मिलने की बात कही। याची की ओर से भी हलफनामा दाखिल किया गया। कोर्ट ने आयोग को सप्लीमेंट्री एफिडेविट दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई 12 जुलाई को होगी।
याचिकाकर्ता की तरफ से इस मामले को जनहित याचिका के रूप में कोर्ट से अंगीकार करने की मांग उठाई गई। कहा गया कि आयोग द्वारा की गई इस गड़बड़ी से बड़ी संख्या में अभ्यर्थी प्रभावित हैं। इस पर जस्टिस एसडी सिंह एवं जस्टिस डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने कहा कि याची स्वयं अभ्यर्थी है उसे अपने अंकों तथा उसे अपने केस तक सीमित रहना चाहिये। कोर्ट ने याची के अधिवक्ता के इस कथन पर असंतुष्टि भी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि आयोग उसकी शिकायत पर कार्यवाही कर रहा है। ऐसे में इस प्रकरण को जनहित याचिका की तरह उठाने के पीछे याची उद्देश्य क्या हो सकता है।