कर्नाटक भाजपा में बगावत पर कार्रवाई: बसंगौड़ा पाटिल यतनाल पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित

Basangouda patil yatnal 17430410

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने बागी विधायक बसंगौड़ा पाटिल यतनाल को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। यह कदम केंद्रीय अनुशासन समिति द्वारा उनकी बार-बार अनुशासनहीनता और पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उठाया गया। यह फैसला कर्नाटक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र के लिए एक मजबूत समर्थन माना जा रहा है, जो लंबे समय से यतनाल के हमलों का सामना कर रहे थे।

यतनाल की बगावत और निष्कासन की वजह

यतनाल, जो विजयपुरा से विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं, लंबे समय से पार्टी के वरिष्ठ नेता बी.एस. येदियुरप्पा और उनके बेटे विजयेंद्र के खिलाफ मुखर थे। उन्होंने विजयेंद्र पर “वंशवादी राजनीति” और “भ्रष्टाचार” के आरोप लगाए और उनकी कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की। इसके अलावा, उन्होंने पार्टी से अलग हटकर अपनी समानांतर गतिविधियां शुरू कीं, जैसे कि वक्फ बोर्ड के खिलाफ पदयात्रा, जिसे भाजपा नेतृत्व ने नकार दिया।

यतनाल ने अपने समर्थकों के साथ जनवरी और फरवरी में दिल्ली जाकर भाजपा हाईकमान से विजयेंद्र को हटाने का आग्रह किया। पार्टी ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए 10 फरवरी 2025 को कारण बताओ नोटिस जारी किया, लेकिन उनके जवाब को संतोषजनक न मानते हुए भाजपा अनुशासन समिति ने उन्हें निष्कासित कर दिया।

भाजपा नेतृत्व की सख्त कार्रवाई

भाजपा अनुशासन समिति के सदस्य सचिव ओम पाठक द्वारा जारी निष्कासन पत्र में कहा गया, “आपके बार-बार अनुशासनहीनता के कारण, और पूर्व में चेतावनी के बावजूद गतिविधियां जारी रहने के चलते, आपको तत्काल प्रभाव से छह वर्षों के लिए भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया जाता है।”

यतनाल का जवाब: “हिंदुत्व के लिए लड़ाई जारी रहेगी”

यतनाल ने इस कार्रवाई पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और सोशल मीडिया पर लिखा, “वंशवाद, भ्रष्टाचार और उत्तर कर्नाटक के विकास की मांग उठाने के कारण मुझे निष्कासित किया गया। लेकिन यह मेरे संघर्ष को कमजोर नहीं करेगा। मैं भ्रष्टाचार, परिवारवाद और हिंदुत्व के लिए अपनी लड़ाई जारी रखूंगा।”

उन्होंने 15वीं-16वीं शताब्दी के कवि पुरंदर दास की एक कविता का हवाला देते हुए यह भी कहा कि “यह सच्चे लोगों के लिए कठिन समय है।”

विजयेंद्र की प्रतिक्रिया: “अनुशासन सर्वोपरि”

कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र ने इस घटनाक्रम को “दुर्भाग्यपूर्ण लेकिन आवश्यक” बताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “भाजपा ने हमेशा अनुशासन को प्राथमिकता दी है। हाल की घटनाओं पर गहन विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया गया। मैं व्यक्तिगत रूप से इस फैसले पर खुशी नहीं मना रहा, लेकिन पार्टी को मजबूत करने के लिए सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट करूंगा।”

भाजपा में अंदरूनी खींचतान और सत्ता संघर्ष

यतनाल लंबे समय से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी.एल. संतोष के करीबी माने जाते हैं। भाजपा के अंदरूनी हलकों में इसे संतोष और येदियुरप्पा के बीच कर्नाटक इकाई पर नियंत्रण की लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है। यतनाल ने येदियुरप्पा पर आरोप लगाया था कि उन्होंने विजयेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष पद दिलाने के लिए भाजपा नेतृत्व पर दबाव डाला था।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम विजयेंद्र की स्थिति को और मजबूत करेगा, जिनका कार्यकाल नवंबर 2026 तक रहेगा। भाजपा के इस फैसले से स्पष्ट है कि पार्टी नेतृत्व अब किसी भी प्रकार की अनुशासनहीनता को बर्दाश्त नहीं करेगा।