घर का मुख्य द्वार वास्तु शास्त्र में विशेष महत्व रखता है। इसे न केवल घर में प्रवेश का माध्यम माना जाता है, बल्कि यही सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा के आगमन का भी मुख्य स्रोत होता है। यदि मुख्य द्वार वास्तु के अनुसार हो, तो यह घर में सुख-समृद्धि और शांति बनाए रखने में मदद करता है। आइए जानें, वास्तु शास्त्र के अनुसार मुख्य द्वार से जुड़ी जरूरी बातें, जिनका ध्यान रखने से वास्तु दोष से बचा जा सकता है।
मुख्य द्वार के वास्तु दोष से बचने के उपाय
1. बुकशेल्फ का स्थान ध्यानपूर्वक चुनें
मुख्य द्वार के आसपास बुकशेल्फ रखना शुभ हो सकता है, लेकिन इसे मुख्य दरवाजे के ठीक सामने न रखें। यह ऊर्जा प्रवाह को बाधित कर सकता है।
2. अच्छी रोशनी का प्रबंध करें
मुख्य द्वार पर कभी भी अंधेरा नहीं होना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि मुख्य दरवाजे पर हमेशा अच्छी रोशनी आती रहे। यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
3. स्वच्छता बनाए रखें
मुख्य द्वार को हमेशा साफ-सुथरा रखें। इसके आसपास कूड़ा या गंदगी इकट्ठा न होने दें, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
4. किचन और मुख्य द्वार का संबंध
यदि आपके मुख्य दरवाजे के ठीक सामने किचन है, तो घर में नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को कम करने के लिए दरवाजे पर क्रिस्टल बॉल लटकाएं।
5. अन्य दरवाजों का स्थान
मुख्य द्वार के बगल में कोई अन्य दरवाजा न बनवाएं। इससे ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो सकता है।
6. खंभे से बचाव
यदि मुख्य द्वार के सामने कोई खंभा है, तो उस पर शीशा लगाना उचित रहता है। यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है।
7. मुख्य द्वार पर आवाज न हो
मुख्य द्वार से किसी भी प्रकार की आवाज नहीं आनी चाहिए। यदि दरवाजा आवाज करता है, तो तुरंत उसकी ऑयलिंग या मरम्मत कराएं। यह अशुभ माना जाता है।
8. जूते-चप्पलों का सही स्थान
मुख्य द्वार के पास जूते-चप्पल रखने से बचें। इन्हें हमेशा दक्षिण या पश्चिम दिशा में रखें। ऐसा न करने से घर में नकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ सकता है।
मुख्य द्वार से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
- दरवाजे की दिशा:
- मुख्य द्वार का स्थान उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में शुभ माना जाता है।
- द्वार की स्थिति:
- दरवाजा खोलने पर वह अंदर की ओर खुलना चाहिए, बाहर की ओर नहीं।
- मांगलिक प्रतीक:
- मुख्य द्वार पर शुभ संकेत जैसे स्वस्तिक या ओम का चिह्न बनाना अच्छा रहता है।