अजमेर, 22 मार्च (हि.स )। राजस्थान का अजमेर संसदीय क्षेत्र उन दस क्षेत्रों में शामिल है, जहां भाजपा में अभी तक भी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है। अब तक अजमेर से भाजपा के उम्मीदवार बनाए जाने के जो कयास चल रहे है थे, उनमें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां को हरियाणा का चुनाव प्रभारी बनाए जाने, अजमेर में वर्षों तक प्रशासनिक पद पर रहे और आरपीएससी के अध्यक्ष का संवैधानिक पद भी संभाल चुके सी आर चौधरी को किसान बोर्ड का अध्यक्ष बनाने, गुर्जर समुदाय से ओम भडाना को देवनारायण बोर्ड अध्यक्ष बनाकर केबिनेट मंत्री का दर्जा देने, केंद्रीय मंत्री भूपेंन्द्र यादव को अलवर से उम्मीदवार घोषित करने से साफ हो गया है कि अजमेर से कोई चौंकाने वाला नाम ही सांसद की उम्मीदवारी के लिए सामने आने वाला है। पार्टी के कार्यकर्ता वैसे भी अब कहने लगे हैं कि भाजपा में जहां से कार्यकर्ता की सोच खतम होती है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह वहां से सोचना शुरू करते हैं। लोकसभा टिकट की उम्मीद करने वाले लोग आपस में कहते है कि भजन करते रहे पता नहीं कब प्रसाद की पर्ची खुल जाए।
पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रहे सतीश पूनियां को भाजपा का अनुशासित कार्यकर्ता माना जाता है। इसलिए कहा जा रहा है कि अचानक हुई इस नियुक्ति का कोई विरोध नहीं रहा। प्रभारी बनने से पूनियां का अजमेर से दावा समाप्त होता नजर आने लगा है। इससे पहले एक और मजबूत दावेदार ओम प्रकाश भडाना को एक साथ दो पद दिए गए। भडाना को एक सप्ताह की अवधि में भाजपा का प्रदेश महामंत्री तथा फिर देवनारायण बोर्ड का अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया गया। अब भडाना भी लोकसभा चुनाव में दावेदारी से पीछे हट गए हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व अजमेर में चौंकाने वाला नाम देगा। इसलिए मजबूत दावेदारों को हटाकर रास्ता साफ किया जा रहा है।
अलबत्ता पूनिया के हटने से अजमेर में स्थानीय नेताओं में एक बार फिर उम्मीद जगी है। हाल ही में भाजपा में शामिल हुए और 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने वाले भीलवाड़ा के उद्योगपति रिजु झुनझुनवाला भी सक्रिय बताए जा हैं। माना जा रहा है कि झुनझुनवाला के तार सीधे राष्ट्रीय नेताओं से जुड़े हुए हैं। मौजूदा सांसद भागीरथ चौधरी को भी उम्मीद जग गई है। हाल ही में विधानसभा चुनाव हारने के बाद चौधरी निराश थे। लेकिन उन्होंने पार्टी में अपनी सक्रियता बनाए रखी। अब जब पूनिया को हरियाणा का प्रभारी बना दिया गया है, तो चौधरी के समर्थक भी उत्साहित हैं। समर्थकों का कहना है कि चौधरी भले ही किशनगढ़ से विधानसभा का चुनाव हार गए हो,लेकिन उन्होंने पिछली बार चार लाख मतों से लोकसभा का चुनाव जीता था। चौधरी पांच वर्ष तक संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रहे। चौधरी की संसद में रिकॉर्ड उपस्थिति रही है। चौधरी के साथ भाजपा के मौजूदा देहात अध्यक्ष देवीशंकर भूतड़ा, पूर्व जिला प्रमुख सरिता गैना, पूर्व जिलाध्यक्ष बीपी सारस्वत, दूदू के पूर्व प्रधान रामेश्वर कड़वा, डॉ दीपक सिंह भाकर, कॉलेज के व्याख्याता आदि ही बदली हुई परिस्थितियों में सक्रिय हो गए हैं। कई दावेदार तो दिल्ली में ही डेरा जमाए हुए है।
वहीं दूसरी और कांग्रेस भी जाट उम्मीदवार पर ही एक बार यहां से भाग्य आजमाने की संभावना तलाश रही है। यूं तो किशनगढ़ से विधानसभा चुनाव जीते विकास चौधरी का नाम भी लोक सभा प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना के तौर पर जुबान पर लिया जाने लगा है। अजमेर डेयरी के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी पहले से ही दावेदारी दर्शा चुके हैंं। पूर्व आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेन्द्र सिंह राठौड़ भी भाग्य आजमाने में पीछे नहीं है। वहीं कांग्रेसी अजमेर को पूर्व उप मुख्यमंत्री व अजमेर से सांसद रहे सचिन पायलट का क्षेत्र अभी भी मानते हैं, किन्तु पिछले पांच साल में जो हाल व हालात रहे हैं उनमें सचिन समर्थकों और अशोक गहलोत समर्थकों की आपसी खींचतान का नतीजा रहा कि विधान सभा चुनाव में कांग्रेस मुश्किल से ही भाजपा के बागी के तौर पर किशनगढ़ की सीट निकाल कर साख बचा सकी। कांग्रेस अजमेर से किसी बाहरी व्यक्ति पर दाव खेलती है तो खेल सकती है पर चेहरा दमदार चाहिए, स्थानीय स्तर पर कांग्रेस के पास हारे हुए उम्मीदवार डॉ रघु शर्मा को उम्मीदवार बनाए जाने की संभावना हो सकती कि किन्तु पूर्व कार्यकाल में मंत्री रहते और बाद में विधायक रहते स्वयं उन्होंने भी अपने आपको जिले का प्रतिनिधित्व देने के बजाय केकड़ी विधानसभा क्षेत्र तक ही सीमित कर लिया। ऐसे में उन्हें भी कांग्रेस के लिए जिताउ उम्मीदवार नहीं समझा जा रहा है।
बहरहाल यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 21 मार्च को ही भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय सहस्त्रबुद्धे को राजस्थान का चुनाव प्रभारी बनाया गया है। कहा जा रहा है कि अब सहस्त्रबुद्धे द्वारा बनाई गई रणनीति पर ही राजस्थान में भाजपा चुनाव लड़ेगी। वहीं कांग्रेस की ओर से घोषणाओं की प्रतीक्षा है।