
टेक्नोलॉजी और रफ्तार के मामले में जापान हमेशा अग्रणी रहा है। इसकी बुलेट ट्रेनें दुनिया की सबसे तेज और सुरक्षित मानी जाती हैं। अब जापान ने रेल निर्माण के क्षेत्र में भी एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है जो अभूतपूर्व है — सिर्फ 6 घंटे में एक पूरा रेलवे स्टेशन तैयार कर दिया गया। यह दुनिया का पहला ऐसा स्टेशन है जो 3D प्रिंटिंग तकनीक से बना है। जापान रेलवे स्टेशन, 3D प्रिंटेड स्टेशन, हात्सुशिमा स्टेशन, सेरेन्डिक्स, वेस्ट जापान रेलवे, तेज निर्माण तकनीक, जापानी टेक्नोलॉजी
कैसे हुआ यह असाधारण निर्माण?
वेस्ट जापान रेलवे कंपनी ने अरिडा सिटी में इस स्टेशन का निर्माण किया है, जो पहले से मौजूद लकड़ी के स्टेशन को रिप्लेस करने के लिए बनाया गया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह परियोजना रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
इस प्रोजेक्ट को सेरेन्डिक्स नामक कंस्ट्रक्शन कंपनी ने अंजाम दिया, जिसने प्रीफैब्रिकेटेड 3D प्रिंटेड कंपोनेंट्स से इसे तैयार किया। इन कंपोनेंट्स को क्यूशु द्वीप की एक फैक्ट्री में 7 दिनों में तैयार किया गया, जहां इनकी प्रिंटिंग और कंक्रीट रिइंफोर्समेंट का काम पूरा हुआ। इसके बाद इन्हें सड़क मार्ग से 804 किलोमीटर दूर अरिडा पहुंचाया गया।
स्टेशन की क्षमता और सेवा
यह स्टेशन हात्सुशिमा नाम से जाना जाता है और यहां प्रतिदिन औसतन 530 यात्री आवाजाही करते हैं। यह एक छोटी रेल लाइन का स्टेशन है जहां हर घंटे एक से तीन ट्रेनें आती-जाती हैं। यहां की सेवाएं साल 2018 से ही स्वचालित (ऑटोमेटेड) हैं।
रातभर में हुआ निर्माण
24 मार्च की रात, जब स्टेशन पर अंतिम ट्रेन रात 11:57 बजे रवाना हुई, तभी ट्रकों से कंपोनेंट्स वहां पहुंचे। निर्माण कार्य तुरंत शुरू हुआ और भारी क्रेनों की मदद से हर हिस्से को निर्धारित जगह पर फिट किया गया। यह पूरा असेंबली प्रोसेस सिर्फ 6 घंटे में पूरा हुआ और सुबह 5:45 बजे पहली ट्रेन के आने से पहले स्टेशन पूरी तरह तैयार था। हालांकि टिकट मशीन और IC कार्ड रीडर जैसी कुछ सुविधाएं बाद में लगाई जाएंगी। उम्मीद है कि यह स्टेशन जुलाई 2025 तक पूरी तरह चालू हो जाएगा।
लागत और समय की बचत
सेरेन्डिक्स के सह-संस्थापक कुनिहायरो हांडा ने बताया कि पारंपरिक निर्माण पद्धति में कम से कम दो महीने का समय और करीब दोगुनी लागत लगती। 3D प्रिंटेड कंपोनेंट्स का उपयोग करके निर्माण को न केवल तेज बनाया गया, बल्कि श्रम की आवश्यकता भी कम हुई। जापान की बुजुर्ग होती आबादी और सीमित मानव संसाधनों को देखते हुए, यह मॉडल दूरदराज के क्षेत्रों में रेलवे इन्फ्रास्ट्रक्चर और स्टाफिंग की चुनौतियों के समाधान के रूप में उभर सकता है।
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