जामनगर में शहीद जवान को अंतिम सलामी, शोक में डूबा पूरा गांव: 10 दिन पहले ही हुई थी सगाई

देश के वीर सपूत और भारतीय वायुसेना के पायलट सिद्धार्थ यादव का पार्थिव शरीर शुक्रवार को हरियाणा के रेवाड़ी जिले में लाया गया  सेक्टर 18 स्थित उनके आवास पर पार्थिव शरीर पहुंचने पर माहौल गमगीन हो गया। इस दौरान उनके परिजनों, स्थानीय लोगों और पूर्व सैनिकों ने नम आंखों से ‘सिद्धार्थ यादव अमर रहो’ के नारे लगाते हुए श्रद्धांजलि दी। 

 

विमान को आबादी से दूर घने जंगल में ले जाया गया…

आपको बता दें कि बुधवार को गुजरात के जामनगर में प्रशिक्षण के दौरान वायुसेना का जगुआर लड़ाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में पायलट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए। दुर्घटना से पहले उन्होंने अपने साथी को सुरक्षित बाहर निकलने का समय दिया और विमान को आबादी से दूर घने जंगल में ले गए, ताकि अधिक लोगों की जान बचाई जा सके।

 

सिद्धार्थ यादव की सगाई महज 10 दिन पहले हुई थी। 

उल्लेखनीय है कि सिद्धार्थ यादव की 10 दिन पहले ही सगाई हुई थी और चार दिन पहले ही वह ड्यूटी पर लौटे थे। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। शहीद का पार्थिव शरीर सबसे पहले सेक्टर 18 स्थित उनके आवास पर लाया गया। उस समय पूरा गांव शोक में डूबा हुआ था। और फिर उन्होंने पूरे सम्मान के साथ उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद शव को उनके गृहनगर भालकी गांव ले जाया गया। जहां सैनिकों ने सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया। 

गौरतलब है कि वायुसेना का जगुआर लड़ाकू विमान बुधवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे गुजरात के जामनगर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान ने जामनगर वायुसेना स्टेशन से उड़ान भरी थी। इस दुर्घटना में पायलट सिद्धार्थ यादव की मौत हो गई, जबकि उनके सहयोगी मनोज कुमार सिंह को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे।

28 वर्षीय सिद्धार्थ की सगाई 23 मार्च 2025 को हुई थी। वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। इसके बाद वे छुट्टियाँ बिताकर 31 मार्च को रेवाड़ी से जामनगर एयरफोर्स स्टेशन पहुँचे। जब इस घटना की खबर रेवाड़ी में मिली तो शोक की लहर दौड़ गई। 

 

सिद्धार्थ के पिता भी वायुसेना में थे।

सिद्धार्थ के परदादा बंगाल में इंजीनियर थे, उनके पिता भी वायुसेना में थे। वह वर्तमान में एलआईसी में कार्यरत हैं। सिद्धार्थ ने 2016 में एनडीए की परीक्षा पास की। इसके बाद 3 साल की ट्रेनिंग लेने के बाद वह बतौर पायलट वायुसेना में शामिल हो गए। दो साल बाद उन्हें पदोन्नति भी मिली, जिसके बाद वे फ्लाइट लेफ्टिनेंट बन गये।