घायल त्वचा की कोशिकाएं भी भेजती हैं इलेक्ट्रिक सिग्नल, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

घायल त्वचा की कोशिकाएं भी भेजती हैं इलेक्ट्रिक सिग्नल, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
घायल त्वचा की कोशिकाएं भी भेजती हैं इलेक्ट्रिक सिग्नल, रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

जब शरीर पर कोई घाव होता है तो दर्द के साथ हम अक्सर कराह उठते हैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों होता है? हाल ही में एक शोध में यह पता चला है कि जब त्वचा की कोशिकाएं घायल होती हैं, तो वे भी इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजकर एक-दूसरे से संवाद करती हैं। यह प्रक्रिया पहले केवल तंत्रिका कोशिकाओं (नर्व सेल्स) से जुड़ी मानी जाती थी।

रिसर्च में पाया गया कि ये इलेक्ट्रिक सिग्नल बहुत धीमी गति से चलते हैं, लेकिन ये आसपास की कोशिकाओं तक पहुंचकर उन्हें घाव भरने के लिए सक्रिय कर सकते हैं। ये संकेत लगभग 500 माइक्रोमीटर की दूरी तक असर डाल सकते हैं।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक?

यह शोध अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट में हुआ, जहां वैज्ञानिक सन-मिन यू और स्टीव ग्रैनिक ने त्वचा और किडनी की कोशिकाओं पर अध्ययन किया। उन्होंने खास तरह की चिप्स पर मानव त्वचा और कुत्ते की किडनी की कोशिकाएं उगाईं। फिर लेजर की मदद से इन पर नियंत्रित चोट पहुंचाई और इलेक्ट्रिक गतिविधि को रिकॉर्ड किया।

कैसे काम करता है यह इलेक्ट्रिक सिस्टम?

शोध में पाया गया कि घायल कोशिकाएं कैल्शियम आयन के प्रवाह से संचालित इलेक्ट्रिक पल्स उत्पन्न करती हैं। ये पल्स तंत्रिका कोशिकाओं की तरह ही होते हैं, लेकिन गति में धीमे होते हैं।

  • जहां नर्व सिग्नल मिलीसेकंड में सक्रिय हो जाते हैं, वहीं त्वचा की कोशिकाएं 1 से 2 सेकंड में पल्स छोड़ती हैं।

  • रिसर्चर सन-मिन यू इन धीमे संकेतों को पहले पहचान नहीं पाईं, क्योंकि उनका सॉफ्टवेयर केवल तेज नर्व सिग्नल को रिकॉर्ड करने के लिए बना था। बाद में सेटिंग बदलने पर ये सिग्नल सफलतापूर्वक दर्ज किए गए।

क्या है इन सिग्नल्स का असर?

ये इलेक्ट्रिक सिग्नल करीब 5 घंटे तक सक्रिय रहते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह आसपास की कोशिकाओं को संकेत देते हैं कि किसी जगह नुकसान हुआ है और मरम्मत की प्रक्रिया शुरू करनी है।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, डेविस के मिन झाओ के अनुसार, त्वचा जैसे ऊतकों को ठीक होने में कई दिन या सप्ताह लगते हैं, इसलिए धीमा और लंबा सिग्नल इस प्रक्रिया के लिए उपयुक्त है।

आगे क्या?

यह खोज इस धारणा को चुनौती देती है कि घाव भरने में केवल बायोकेमिकल और मेकेनिकल सिग्नल ही महत्वपूर्ण होते हैं। अब यह साफ होता जा रहा है कि इलेक्ट्रिक फील्ड भी ऊतक मरम्मत में बड़ी भूमिका निभाती है।
भविष्य की रिसर्च का उद्देश्य यह जानना है कि ये धीमे इलेक्ट्रिक पल्स 3D टिशू संरचनाओं में कैसे काम करते हैं और कैसे अन्य कोशिकाओं के साथ संवाद करते हैं। इससे घाव भरने की जटिल प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझने में मदद मिल सकती है।

यह शोध न केवल विज्ञान की दृष्टि से अहम है, बल्कि यह चिकित्सा विज्ञान में नए उपचार के रास्ते भी खोल सकता है, खासकर उन मरीजों के लिए जिनके घाव जल्दी नहीं भरते।

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