
आज सोशल मीडिया कंटेंट से भरा पड़ा है। कोई मेकअप से जुड़ा वीडियो बनाता है, कोई डांस करता है, तो कोई रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर व्लॉगिंग करता है। इनके लाखों-करोड़ों फॉलोअर्स होते हैं, लेकिन इनकी असली जिंदगी कैसी होती है, यह कम ही लोग जानते हैं। सोशल मीडिया पर जो कुछ दिखता है, क्या वह सच में वैसा ही होता है? या सिर्फ दिखावे के लिए?
इन्हीं सवालों के बीच चर्चा में आए हैं 22 वर्षीय कंटेंट क्रिएटर अनीश भगत, जिनके इंस्टाग्राम पर 1 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। हाल ही में उन्होंने एक ऐसा पोस्ट किया, जिसने इंटरनेट पर हलचल मचा दी।
क्या अनीश भगत ने गे होने का नाटक किया?
1 अप्रैल को अनीश भगत ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि वह बीते चार सालों से गे होने का अभिनय कर रहे थे। इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कुछ यूजर्स इसे अप्रैल फूल का मजाक मान रहे हैं, जबकि कई लोग इसे लेकर गंभीर सवाल उठा रहे हैं।
अनीश ने लिखा, “मैं एलजीबीटीक्यू समुदाय के साथ होने वाले व्यवहार और स्टीरियोटाइप्स के खिलाफ जागरूकता फैलाना चाहता था। मैं गे नहीं हूं, लेकिन मैंने समाज में बदलाव लाने की कोशिश की।”
पोस्ट ने फैंस को चौंकाया
अपने पोस्ट में अनीश ने लिखा कि वह बीते चार सालों से एक ऐसी पहचान के साथ जी रहे थे जो उनकी असल पहचान नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कि इस दौरान उन्हें सिर्फ गे किरदारों के ऑफर मिले, उनके असली टैलेंट की पहचान नहीं हो सकी, और यह अनुभव उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल गया।
उनके शब्दों में, “हां, इसने मुझे फॉलोअर्स दिलाए, लेकिन इसके साथ दर्द भी बहुत मिला। अब मैं इसे और नहीं झेल सकता।”
जागरूकता फैलाने की मंशा
अनीश ने कहा कि उन्होंने यह सब इसलिए किया ताकि लोग एलजीबीटीक्यू समुदाय के साथ सहानुभूति रख सकें। उन्होंने अनुभव किया कि किस तरह एक व्यक्ति को सिर्फ उसकी यौनिकता के आधार पर परखा जाता है। अपने इस “एक्सपेरिमेंट” को उन्होंने मुश्किल, दर्दनाक लेकिन ज़रूरी बताया।
कौन हैं अनीश भगत?
अनीश भगत का जन्म 11 जून 2002 को हुआ था। उन्होंने 2018 में इंस्टाग्राम पर अपनी ऑनलाइन यात्रा शुरू की। 2024 में उन्होंने वेब सीरीज ‘बंदिश बैंडिट्स’ के प्रमोशन में भाग लिया, जिसमें नसीरुद्दीन शाह और अतुल कुलकर्णी जैसे कलाकार नजर आए। यहीं से उन्हें व्यापक पहचान मिली।
उनकी रचनात्मकता, एक्टिंग स्किल्स और डिजिटल प्रजेंस ने उन्हें सोशल मीडिया पर एक बड़ा चेहरा बना दिया है।
विवाद और विचार
इस पूरे मामले ने एक बड़ा सवाल खड़ा किया है – क्या किसी समुदाय की भावनाओं के साथ इस तरह का “एक्सपेरिमेंट” करना सही है? अनीश की मंशा भले ही जागरूकता फैलाने की रही हो, लेकिन इससे जुड़ी भावनात्मक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं अब चर्चा का विषय बन चुकी हैं।
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