अमेरिका के साथ परमाणु संधि: नई. अमेरिकी कंपनियों को रिएक्टर बनाने की मंजूरी दी गई

नई दिल्ली: परमाणु ऊर्जा समझौतों पर हस्ताक्षर होने के बीस वर्ष बाद, अमेरिकी ऊर्जा विभाग (डीओई) ने एक अमेरिकी कंपनी को भारत में परमाणु रिएक्टर बनाने की अनुमति दे दी है।

भारतीय-अमेरिकी क्रिस पी. सिंह की कंपनी होलटेक-एशिया फिलहाल गुजरात के दहेज में अन्य विनिर्माण कार्यों में व्यस्त है।

कंपनी की मूल कंपनी, होलटेक इंटरनेशनल, छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों के निर्माण में विशेषज्ञता रखती है। यह परमाणु रिएक्टरों के निर्माण के लिए अपनी प्रौद्योगिकी तीन भारतीय कम्पनियों को हस्तांतरित करेगा: टाटा कंसल्टेंसी की सहायक कम्पनी लार्सन एंड टुब्रो, तथा होलटेक-एशिया।

इसके साथ ही अमेरिकी प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा रखी गई मुख्य शर्त यह है कि इन रिएक्टरों का उपयोग केवल पूर्ण रूप से ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए ही किया जा सकेगा। साथ ही यह भी आग्रह किया गया है कि परमाणु हथियार न बनाए जाएं, तथा केवल वियना स्थित अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा प्राधिकरण (आईएईए) द्वारा स्थापित सिद्धांतों के अनुरूप ही कार्य किया जाए।

भारत ने इस तरह IAEA को स्वीकार कर लिया है।

अमेरिका भारत के साथ व्यापार में भारी घाटे में है। तब परमाणु रिएक्टरों पर संधि के प्रभाव में भारी कमी आएगी। जबकि भारत इस “उपलब्धि” को एक बड़ी कूटनीतिक “जीत” मानता है। भारत इसे ऐतिहासिक उपलब्धि मानता है।