गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में आपदा प्रबंधन में भेदभाव के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत न केवल राष्ट्रीय बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर आपदा प्रबंधन में एक ताकत के रूप में उभरा है।
शाह आपदा प्रबंधन संशोधन विधेयक पर चर्चा का जवाब दे रहे थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विधेयक का उद्देश्य सत्ता का केंद्रीयकरण करना नहीं, बल्कि आपदा से पहले तैयारी और सभी की भागीदारी को सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा—
“यह विधेयक सिर्फ आपदा के बाद प्रतिक्रिया देने तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पहले से तैयारी करने, अभिनव समाधान अपनाने और आम जनता की भागीदारी बढ़ाने पर भी जोर देगा।”
राज्यसभा में विधेयक को मिली मंजूरी
गृह मंत्री के जवाब के बाद उच्च सदन ने सरकारी संशोधनों के साथ इस विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी।
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विपक्षी सदस्यों द्वारा पेश किए गए संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया।
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शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तुत किए गए ‘आपदा जोखिम न्यूनीकरण’ के 10-सूत्रीय एजेंडे को 40 देशों ने स्वीकार कर लिया है।
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उन्होंने कहा कि विधेयक में न केवल राज्य सरकारों बल्कि आम लोगों की भी सक्रिय भागीदारी का प्रावधान किया गया है।
शाह ने कहा—
“पिछले 10 सालों में हमने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में जो प्रगति की है, उसे पूरी दुनिया ने स्वीकार किया है। भारत अब सिर्फ एक राष्ट्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक ताकत के रूप में उभर चुका है।”
‘आपदा का सीधा संबंध जलवायु परिवर्तन से’
अमित शाह ने आपदा और जलवायु परिवर्तन के बीच सीधा संबंध होने की बात कही।
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उन्होंने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ा रहे हैं।
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उन्होंने इस मुद्दे को प्राचीन भारतीय दर्शन से जोड़ते हुए कहा कि वेदों में पृथ्वी और अंतरिक्ष की रक्षा का उल्लेख मिलता है।
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उन्होंने हड़प्पा सभ्यता का भी जिक्र किया और कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए भारत प्राचीन काल से उपाय करता आ रहा है।
‘संघीय ढांचे को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा’
विपक्ष ने केंद्र सरकार पर गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ आपदा सहायता में भेदभाव का आरोप लगाया।
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इस पर जवाब देते हुए शाह ने कहा कि “संघीय ढांचे को नुकसान पहुंचाने की कोई संभावना ही नहीं है।”
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उन्होंने बताया कि वित्त आयोग द्वारा एक वैज्ञानिक व्यवस्था बनाई गई है, जिसके तहत सभी राज्यों को समान रूप से सहायता दी जाती है.