अमेरिकी पॉडकास्टर और कंप्यूटर साइंटिस्ट लेक्स फ्रीडमैन के यूट्यूब चैनल पर दिए गए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अहम मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। इस बातचीत में उन्होंने आरएसएस, हिंदू राष्ट्र, महात्मा गांधी, गुजरात दंगे, और अपनी निजी जिंदगी से जुड़े सवालों के जवाब दिए। साथ ही, उन्होंने अमेरिका और चीन के साथ भारत के संबंधों पर भी अपनी राय रखी।
वैश्विक संगठनों पर पीएम मोदी की राय
पीएम मोदी ने कहा कि यूनाइटेड नेशन जैसे वैश्विक संगठन अब अप्रासंगिक हो रहे हैं, क्योंकि वे अपनी मूल जिम्मेदारियां निभाने में असफल साबित हो रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वैश्विक विकास के लिए समन्वय और सहयोग बेहद जरूरी है, लेकिन मौजूदा अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इसमें विफल रही हैं।
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मिडिल ईस्ट के संकट पर बोलते हुए पीएम मोदी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्थाएं संघर्षों को हल करने में सफल नहीं हो पा रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इन संस्थाओं में सुधार की जरूरत है, क्योंकि वे समाधान खोजने के बजाय केवल औपचारिकताओं तक सीमित रह गई हैं।
कांग्रेस ने पीएम मोदी के बयान पर साधा निशाना
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि पीएम मोदी यह सब डोनाल्ड ट्रंप को खुश करने के लिए कह रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा,
“मोदी बार-बार अपने दोस्त ट्रंप की भाषा बोल रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप भी वैश्विक संस्थाओं को अप्रासंगिक बताने का प्रयास कर रहे हैं।”
रमेश ने आगे कहा,
“क्या WHO और WTO भारत के लिए फायदेमंद नहीं हैं? क्या जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता भारत के लिए जरूरी नहीं है? भले ही इन संगठनों में कमियां हों, लेकिन उन्होंने भारतीय शांतिदूतों को मंच प्रदान किया है। सुधार की जरूरत जरूर है, लेकिन मोदी और ट्रंप इस तरह से वैश्विक संगठनों की आलोचना नहीं कर सकते।”
पीएम मोदी ने ट्रंप की तारीफ की
इंटरव्यू में प्रधानमंत्री मोदी ने डोनाल्ड ट्रंप को अपना मित्र बताते हुए कहा कि दोनों राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हैं। उन्होंने ट्रंप को निडर नेता बताया और कहा कि वे निर्णय लेने में बेहद स्पष्ट हैं।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान हमले के बावजूद ट्रंप का जोश कम नहीं हुआ। उन्होंने दावा किया कि दूसरे कार्यकाल में ट्रंप पहले से भी ज्यादा तैयारी के साथ आएंगे।
कांग्रेस का कटाक्ष – “न्यूनतम आत्ममुग्धता, अधिकतम सुशासन”
इंटरव्यू में मोदी ने अपनी पहचान को लेकर भी बात की। इस पर कटाक्ष करते हुए जयराम रमेश ने कहा,
“एक साल पहले उन्होंने खुद को ‘नॉन-बायोलॉजिकल’ बताया था, अब वे ‘1+1’ के सिद्धांत में विश्वास कर रहे हैं: एक मोदी और दूसरा दैवीय।”
उन्होंने आगे कहा कि जब देश आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहा है, पड़ोसी देश अशांत हैं और वैश्विक स्थिति अस्थिर है, तब प्रधानमंत्री को निजी महिमा मंडन करने के बजाय प्रभावी शासन पर ध्यान देना चाहिए। रमेश ने कहा,
“न्यूनतम आत्ममुग्धता, अधिकतम सुशासन ही प्राथमिकता होनी चाहिए।”