छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार सुबह से ही पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल तथा उनके बेटे चैतन्य बघेल के ठिकानों पर छापेमारी शुरू कर दी। इस छापेमारी के दौरान राज्य के अन्य कई स्थानों पर भी कार्रवाई की जा रही है।
ईडी पहले ही इस मामले में राज्य सरकार के नौकरशाहों, व्यापारियों और कई अन्य लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। एजेंसी का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार के शराब घोटाले से राज्य को भारी नुकसान हुआ, और 2100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई शराब सिंडिकेट के विभिन्न लाभार्थियों की जेब में गई।
ईडी की छापेमारी कहां-कहां हो रही है?
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उनके बेटे चैतन्य बघेल और उनके करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी की है।
- भिलाई में चैतन्य बघेल के घर और अन्य ठिकानों पर कार्रवाई
- दुर्ग जिले में कुल 14 स्थानों पर ईडी की रेड
- पूर्व सीएम के करीबी सहयोगियों और व्यापारियों के घर भी निशाने पर
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत यह छापेमारी की जा रही है। ईडी को संदेह है कि चैतन्य बघेल भी इस घोटाले से उत्पन्न काले धन का लाभार्थी है।
कैसे हुआ छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला?
ईडी के अनुसार, छत्तीसगढ़ में शराब सिंडिकेट के जरिए एक संगठित घोटाला हुआ, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।
- सरकार के शराब कारोबार से 2161 करोड़ रुपये की अवैध आय निकाली गई।
- फर्जी बिल और डमी कंपनियों के जरिए काले धन को सफेद किया गया।
- राज्य सरकार के अधिकारियों, व्यापारियों और राजनेताओं की मिलीभगत से यह घोटाला चला।
ईडी इस घोटाले से जुड़े नए सबूत और लेन-देन के दस्तावेज खंगाल रही है।
भूपेश बघेल ने छापेमारी पर क्या कहा?
ईडी की कार्रवाई के बाद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पहले ट्विटर) पर प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने लिखा,
“सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत ने खारिज कर दिया, तो अब ईडी के मेहमान मेरे भिलाई निवास पहुंच गए हैं। अगर यह षड्यंत्र कांग्रेस को रोकने का प्रयास है, तो यह गलतफहमी है।”
बघेल का दावा है कि यह कार्रवाई राजनीतिक बदले की भावना से की जा रही है और इसका मकसद आगामी चुनावों में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाना है।
क्या आगे होगा?
ईडी की इस छापेमारी से छत्तीसगढ़ में राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
- अगर पुख्ता सबूत मिले तो चैतन्य बघेल और अन्य सहयोगियों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
- भूपेश बघेल के खिलाफ जांच और तेज हो सकती है।
- चुनावों से पहले कांग्रेस पर दबाव बढ़ सकता है।